Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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योनिः मानवेचानन्तर वा
प्रतिवन्ति धर्ष्णेच श्रुतचारिषरूपेण परन्ति मे ते पार्थिवा ततदेव तिपातिभ पूजितो या देवान after] प्रमदा धर्मोऽस्ति तेषान्ते धर्मिय तत्वान्धेभ्यो अतिशयवन्ती भठि पतएव धम्मपारसि धर्म मारनाशि प्यान प्रतिureमन्तोति क्याबिन घर्षाचा याति निपान्ते धन्यस्यावर धन्यवसोत्ति घोषयन्ति उपादेयतया च पापि व्यक्ति पर पासष्यन्ते ये ते धन्यज्यमा सतय धर्ममुदाचारति प परछोगस्स अवाराङगा सेसिंचेव १९ सेषेद्मे गामागर जात्र मसिषेमेस मणुयाभवति तमहा पप्पारभा अप्यपरिग्गा धमिया धम्माबुवा धम्मिट्ठा धम्मवाद धम्मप्यखोर घम्मपलज्जया धम्मममुदायाग धम्मे उत्कष्ट पोषमभोजाइत घोष परिचय वेसकनयम उपरिम उपरिमनामते हविमानमे विधे देवतोपमे पुदय वेदे उपपातयमाने विवेगार उपि मानव विजेते भिगोतमसमपुर दसकोडा कोडिलोपमे एक सागरोपमएचवाएको समागरोपमभोषितिघाजपुतारित सोयरादिवर पर थोक परचमेराभवमेनियम गय तनोपा था जिनमें तो धाराधान पावतप्रोतिमचो पूर्विको परे १८ तेत्यच संसारोषजीव पामनावटिय धावरसुवर्णउत्पत्तिकांम सनिवेषम बच्चा डिगोबडोवो सौताबानकमेविये मनुष्वपुरुषस्रोपादिभवति ते पन्पयोड पोलपार भव्यापारारि कसंबधोक्षं प्रत्यवोच अपरिभूतमूचमेवेदमे भ्रमंश्वतचारिचकपनाबरबजार धर्मभृतपारिकपमेव देवसमतचापशम धर्मश्रूतत्राश्विरूपमै भञ्चाषैते धर्माब्लामी धर्मकृतचारिचकपने डिवायोम्यानिवारि२तिहोड दिने धर्मकृतपारिवने विधेप्रकर्षेभावधान पवन
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