Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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पर्वत उपर घणा साधुओनी साथे श्रीस्कंदक.-मगवंतने वंदना.-फरीवार व्रतनो उच्चार.--एक मास सुधी अनशन.-समाधिपूर्वक श्रीस्कंदकर्नु कालगमन. तेनां पात्रो अने वस्त्रो साथे साधुओर्नु पुनरागमन.-श्रीगौतमप्रश्न. ते स्कंदक कइ गतिर्मा गया:-अच्युतकल्प.बावीश सागरोपमनी आवरदा.-महाविदेहमा मुक्ति. श्रीस्कंदकर्नु जीवन समाप्त.
. २२३-२६०
शतक २.-उद्देशक २.
समुद्घात केटला?-सात.-वेदनासमुद्घात.-कषायसमुद्घात.-मरणसमुद्घात.-वैक्रियसमुद्घात.-तैजससमुद्घात.-आहारकसमुद्घात.केवलिसमुद्घात.-भावितआत्मा अनगार.-समुद्घातपद (प्रज्ञापनासूत्र ):
२६१-२६४ शतक २.-उद्देशक ३.
पृथिवीओ केटली छे ?-सात.-नप्रभा.-शर्कराप्रभा. वालुकाप्रभा.-पंकप्रभा.-धूमप्रभा.-तमप्रभा.-तमतमाप्रभा.-सर्व जीवो नरकमां पूर्वे अनेकवार उत्पन्न थया छे:-हा.-जीवाभिगमसूत्रनो बीजो उद्देशक.--
२६५-२६६ शतक २.-उद्देशक ४.. इंदियो केटली छे?—पांच.-स्पर्शइंदिय.-रसइंद्रिय.-प्राणइंद्रिय. नेत्रइंदिय.-कर्णइंद्रिय.-प्रज्ञापना सूत्रनो इंद्रियसंबंधी प्रथम उद्देशक.-. इंद्रियोना भेदो. इंद्रियोनो आकार.-इंद्रियोनी जाडाइ.-इंद्रियोनो विषय वगेरे.-.
२६७-२७० शतक २.-उद्देशक ५. अन्यतीर्थिकमत.-देवने स्त्रीओ न होय.–एक ज जीव एक काळे बे वेदोने (बे स्थितिने) अनुभवे. ते खोटुं छे. देवने स्त्रीओ होय.-एक
जीव एक काळे एक वेदने अनुभवे.-केटला वखत सुधी उदकनो गर्भ टके?-एक समय अने छ मास.-केटला वखत सुधी तियंचयोनिकनो गर्भ टके? -अंतर्मुहूर्त अने आठ वरस.-केटला वखत सुधी मनुष्यनो गर्भ टके! अंतर्मुहूर्त अने बार वरस.-कायभवस्थ केटला काळ सुधी टके अंतर्मुहूर्त अने चोवीश वरस.--मनुष्य अने तिर्यचपंचेंद्रियना बीजमा बीजत्व क्या सुधी टके? -अंतर्मुहूर्त अने वार 'मुहूर्त.-एक जीव एक भवे केटलानो पुत्र थाय?-एक, बे, त्रणनो के बसेंथी नवसेंनो.-एक जीवने एक भवे केटला पुत्र थाय? -एक,
बे, प्रण के बेथी नव लाख.-तेनुं कारण.-मैथुनथी थतो असंयम.-श्रीमहावीरविहार.-तुंगिका नगरी.-तुंगिका नगरीना श्रावको अने तेओर्नु खरूप.-पार्श्वनाथना स्थविर शिष्यो. तेओनी पासे जवा माटे तुंगिकाना श्रावकोनो विचार.--तेओनी तैयारी अने विनीतता.ते स्थविरोनो धर्मोपदेश.--ते श्रावकोना प्रश्नो.-संयमर्नु अने तपर्नु शुं फळ? अनाश्रव.–व्यवदान.-देवो देवलोकमां थाय तेनुं शु कारण? कालिकपुत्र-पूर्वतप.-मेधिल स्थविर–पूर्वसंयम.-आनंदरक्षित–कर्मिका..-काश्यप स्थविर-संगिका.-श्रावकोर्नु प्रतिगमन अने स्थविरोनो विहार.--श्रीइंद्रभूति अनगार. तेओर्नु तप अने पारj.-भिक्षा माटे जQ. तेओने स्थविरोनी वात सांभळी थएवं कौतुक.-भिक्षाथी पाछा फर्यां पछी थएल कौतुकर्नु श्रीमहावीरने निवेदन अने खुलासो.-साधुसेवार्नु शुं फळ?-शास्त्रश्रवण.-तेनुं शुं फळ?-ज्ञान.-तेनुं शुं फळ ? –विज्ञान.-तेनुं शुं फळ? -पञ्चक्खाण. तेनुं हुं फळ?-संयम.-संयमर्नु शुं फळ ?-अनाश्रव.अनाश्रवन शुं फळ? -तप.-तेनुं शुं फळ?-व्यवदान.-तेनुं शुं फळ? -अक्रिया.-तेनुं शुं फळ! -सिद्धि.-राजगृहना कुंड संबंधे अन्यतीथिंकनो मत अने श्रीमहावीरनो मत.-उद्देशकसमाप्ति.
२७१-२९. शतक २.-उद्देशक ६.
भाषा अवधारिणी छे?-प्रज्ञापना सूत्र.-भाषापद.
२९१-२९४
शतक २.-उद्देशक ७. देवो केटला प्रकारना छ ? –चार प्रकार.-भवनवासी देवोनों स्थानो क्यां छ?-प्रज्ञापना सूत्रनुं स्थानपद.-खर्गोनो आधार.-विमानोनी जाडाई.-विमानोनी उंचाई-विमानोनो आकार.—जीवाभिगम सूत्रनो वैमानिक उद्देशक.
२९५-२९६ शतक २.-उद्देशक ८.
तेनुं प्रमाण, मणिपीठिका. अरुणोदव चमरतुं'
चमरनी सुधर्मा सभा क्या छ ? -जंबूद्वीपमा मंदर पर्वतनी दक्षिणे.-अरुणवर द्वीप.-तेनो वेदिकांत.-उत्पातपर्वत नामे तिगिच्छककूट.
तेनुं प्रमाण.—गोस्तुभ नामे आवासपर्वतनी समानता.-पद्मवरवेदिका. वनखंड.-ते बन्नेनुं वर्णन.-एक प्रासादावतंसक.-तेनुं प्रमाण अने वर्णन.-मणिपीठिका.-अरुणोदय समुद्र.-चमरचंचा राजधानी.-तेनो किल्लो.-सुधर्मा सभा.-जिनगृह.-उपपात सभा.हृद.-अभिषेक.-अलंकार.-विजयदेव.-चमरनुं ऋद्धपणु:
२९-३०२ शतक २.-उद्देशक ९. समयक्षेत्र ए शु?--अढी द्वीप अने ये समुद्र.-श्रीजीवाभिगमसूत्रनी साक्षी.
३०३-३०४
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