Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust

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Page 15
________________ शतक १.-उद्देशक ८. बालक एकांतपंडित, अंतक्रिया.-कल्पोपपत्तिका.-बालपंडित.—देवगतिन कारण.-मृगघातक पुरुष.-किया.-कायिकी. अधिक रणिकी, प्रादेषिकी.-पारितापनिकी.-प्राणातिपात.-तृणदाहक पुरुष.-धनुर्धारी पुरुष.-मृगवर.-पुरुषवर.-छ मास.-पुरुषघातक परुष-सरखा बे पुरुष.-जय अने पराजयतुं कारण.-वीर्यविचार.-लब्धिवीर्य अने करणवीर्य.-चोवीशे दंडक.-उद्देशकसमाप्ति १८९-१९० शतक १.-उद्देशक ९. जीवो भारपणं केम पामे?-प्राणातिपातादिथी.--जीवो हळवापणुं केम पामे:-अहिंसादिथी.-चार प्रशस्त.-चार अप्रशस्त.-शुं अवकाशांतर भारे छ? हळवो छे? भारेहळवो छ ? के भारेहळवा सिवायनो छे? ते भारेहळवा सिवायनो छे.-शंसातमो तनुवात भारे छे! हळवो छे? भारेहळवो छ? के भारेहळवा सिवायनो छे?-ए संबंधे बीजा प्रश्नो.-क्रोधरहितपणुं वगेरे निग्रंथोने माटे सारं छे?-हा.-कांक्षाप्रदोष क्षीण थया पछी अथवा पूर्वे बहु मोहवाळी स्थितिमा रया पछी संवृत थ श्रमण सिद्ध थाय?-हा.-अन्यतीर्थिक,-एक जीव एक काळे वे आयुष्य करे ते केम?-ते खोटुं.-एक जीव एक काळे एक आयुष्य करे.-गौतमविहार.- कालास्यवेषिपुत्र अनगार अने स्थविरो बच्चे प्रश्न.-कालास्यवेषिपुत्र अनगारर्नु अजाणपणुं.-चार महाव्रत मूकी पांच महाव्रतनो खीकार.-कालास्यवेषिपुत्र अनगारनो मोक्ष.-शेठ, दरिद्र, लोभिओ अने क्षत्रिय; ए बधा एक साथे अप्रत्याख्यान क्रिया करे?-हा.-तेनुं कारण.-आधाकर्म अन्न खावानुं श्रमणने फळ.प्रासुक अन्न खावार्नु भ्रमणने फळ.-अस्थिर पदार्थ बदलाय? स्थिर पदार्थ न बदलाय? इत्यादि.-हा.-गौतमविहार.-उद्देशकसमाप्ति. १९९-२१० शतक १.-उद्देशक १०. तानी भाषा नहीं. अगवा श्रीमहावीर वक्तव्य अापण सरखा अन्यतीर्थिक वक्तव्य-चलमान अचलित.-वे परमाणु परस्पर न चोंटे.-तेमां चिकाश नथी.-त्रण अणु चोंटे.-तेनाबे सरखा भाग १॥ १॥ थाय. अने त्रण भाग पण थाय.-चार अणु.-पांच अणुनुं कर्म बने. ते शाश्वत छे.-कर्म चयापचय पामे.-बोल्या पहेला भाषा ते भाषा.-बोलाती भाषा ते भाषा नहीं.-बोल्या पछीनी भाषा ते भाषा.-बोलतानी भाषा नहीं.-अणबोलतानी भाषा.-कर्या पहेलानी क्रिया ते दुःखरूप.-कराती क्रिया अदुःखरूप.-कर्या पछीनी किया दुःखरूप.-अकरणथी.-अकृत्य दुःख.-श्रीमहावीर वक्तव्य-अन्यतीर्थिकनुं असत्य.-चलमान चलित.–बे परमाणु परस्पर चोंटे.-तेना बे सरखा भाग थाय.--त्रण परमाणु चोटे,तेना ये भाग थाय, पण सरखा न घाय.-त्रण भाग थाय.-चार अणु,-पांच अणुनो स्कंध (कर्म नहीं). ते अशाश्वत.. बोल्या पहेलानी भाषा ते अभाषा. बोलाती भाषा भाषा.-बोल्या पछीनी भाषा अभाषा.-बोलतानी भाषा.-अणबोलतानी अभाषा.-भाषानी पेठे क्रिया-कृत्य दुःख.-अन्यतीर्थिकमत.--एक जीव एक समये बे क्रिया साथे करे.-ऐर्यापथिकी.-सांपरायिकी. ते खोटुं. श्रीमहावीरमत.--एक जीव एक समये एक क्रिया करे–केटला काळ सुधी नरकमा जीव उत्पन्न ज न थाय?--बार मुहूर्त. व्युत्क्रान्तिपद.-गौतमविहार.-उद्देशकसमाप्ति.शतकसमाप्ति. २१३-२२२ शतक २.-उद्देशक १. उच्छ्वास.-पृथिवी वगेरेना जीवोने श्वासोच्छ्वास छे? -हा.-तेओ श्वासोच्छ्वासमा ले अने शुं काढे ?–एक जातनां (श्वासोच्छ्वासना) अणुओ.-ते अणुओमां रूप, रस, गंध अने स्पर्श पण छे.-प्रज्ञापना सूत्र.-नैरयिक.-छए दिशा.-पवनना जीवोने श्वासोच्छ्रास होय.हा.-जीव पवनमांथी नीकळीने पाछो अनेक वार पवनमा आवे? हा.-तेर्नु मरण केवी रीते थाय? आघात थवाथी.-- सशरीर अने अशरीर.-पवनने चार शरीर.-सकर्मक मृतादी साधु.---प्राण.-भूत.-जीव.-सत्त्व.-विज्ञ.-वेत्ता.-अकर्मक मृतादी साधु.-सिद्ध.बुद्ध.-मुक्त.-पारगत.-परंपरागत. श्रीगौतमविहार.—आर्य श्रीस्कंदक.-कृतंगला नगरी. छत्रपलाशक चैत्य.-श्रावस्ती नगरी.गर्दभाल परिव्राजक:-ऋग्वेदादि चार वेद.-इतिहास (पुराण) निघंटु.-पष्टितंत्र.-गणितशास्त्र.-वेदना छ अंग-शिक्षा.-कल्प.व्याकरण. पिंगळ.—निरुक्त.-ज्योतिःशास्त्र.-पिंगलक नामे श्रमण. वैशालिकश्रावक---कात्यायनगोत्रीय स्कंदक परिव्राजक.-स्कंदक प्रत्ये पिंगलकना प्रश्नो.-लोकनो छेडो छे के नथी?—जीवनो छेडो छे के नथी? –सिद्धिनो छेडो छे के नथी?-सिद्धनो छेडो छे के नथी?-- कया मरणथी जीव वधे अने घटे?-स्कंदक परिव्राजकनुं मौन. वे त्रण वार आक्षेपपूर्वक एना ए प्रश्नो.--स्कंदकने थएल शंकादि.श्रीमहावीर पधार्यानी वात. स्कंदकनो विचार.-श्रीमहावीर पासे जद पूर्वोक्त प्रश्नना खुलासा लेवानी जिज्ञासा.-श्रीमहावीरने सेक्वानी इच्छा.-तापसनो वेष.-स्कंदक परिव्राजक विषे श्रीमहावीर अने श्रीगौतम वच्चे घातचित.-श्रीमहावीरना स्थान तरफ स्कंदकर्नु गमन.'कंदक साधु थशे'? एम श्रीगीतमनो प्रश्न.-हा. स्कंदकने आवता जोइने श्रीगौतमे करेलो तेमनो आदर. 'तेनी गुप्त वातर्नु स्पष्टीकरण.-स्कंदकनो अचंबावाळो प्रश्न.-श्रीगौतमना धर्माचार्य (महावीर ) उपर स्कंदकर्नु बहु मान.---व्यावृत्तभोजी (नित्याहारी) श्रीमहावीर.तेओना शरीरनुं सौंदर्य.-श्रीमहावीरने मळ्या पछी स्कंदकने थएलो हर्ष. स्कंदकना पूर्वोक्त प्रश्नोना खुलासा.-द्रव्य, क्षेत्र, काळ अने भाव.अमुक रात लोक वगेरेनो छेडो छे अने अमुक प्रकारे तेनो छेडो नथी. बालमरण.-पंडितमरण,-यालमरणना वारभेद.....चलमरण.वशाऽऽतैमरण.-अंतःशल्यमरण.-तद्धवमरण.—गिरिपतन.-तरुपतन.-जलप्रवेश.-अग्निप्रवेश.-विषभक्षण,-शनावपात. --बैहानस.--गृद्स्पृष्ट.-ए मरणोथी जीवनो संसार वधे.-पंडितमरणना बे भेद.-पादपोपगमन.-भक्तप्रत्याख्यान.-निहारिम.--अनिहारिम.-ए मरणोथी जीवनो संसार घटे. स्कंदकप्रतिवोध.-धर्म सांभळवानी तेनी इच्छा.--धर्म- कथन.-श्रीमहावीरना प्रवचन उपर स्कंदकनी श्रद्धाप्रीति.-तापस वैषनो परित्याग,-बळता संसारनो विचार.-श्रीमहावीर पासे साधु थवानी इच्छा.-:-श्रीस्कंदक साधु-तेने श्रीमहावीर आपली शिखामण,-स्कंदकनु आध्यात्मिक जीवन.-स्कंदकर्नु अग्यार अंगोर्नु भण.---तप करवा माटे श्रीमहावीरनी अनुमति.--श्रास्कदकनी घणी आकरी तपस्या.-भिक्षुनी बार प्रतिमा अने तेन टुकु खरूप.--गुणरत्नसंवत्सर तप अने तेनुं हुंकुं खरूप.--आकरी तपस्या करवाथी स्कंदकना शरीरनी क्षीणता.-'श्रीमहावीर पासे अनशन करवं' एवो श्रीस्कंदकनो विचार.-क्षमापना.-विपुल पर्वत.-विपुल Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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