Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai

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Page 387
________________ श्री ममल पाहुइ जी जय उवन सहावे रमन जयं जिनु, जय उवन कमल सिद्धि राऊंगा ॥ ३२ ॥ ॥ जय. ॥ जय श्रेनि जयं जय कमल जयं जिनु, जय रमन मुक्ति विलसाऊंगा । तारन तरन उव कमल रमन जिनु, सम समय सिद्धि संपातुंगा ॥ ३३ ॥ ॥ जय. ॥ (१३३) तार कमल फूलना गाथा २७७६ से २७८८ तक (विषय : कलन चरन रमन, षट् रमन, तत्त्व स्वरूप) जय जय जय जय जिनवर उवने, उव उवन उवन जिनु रमिजै । जिन जिनयति जिनय विंद धुव रमनह, धुव रमनु मुक्ति सुइ मिलिजै ॥ १ ॥ सुनि सखि मिलिजै री जिना, जिन जिनय मुक्ति रमना ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ जिन जिनयति श्रेनि श्रेनि जिनु उवने, जिन श्रेनि उवन जिनु रमिजै । श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी उव उवन सहावे सरनि विलीजै, जिन श्रेनि सुर्य सिद्धि रमिजै ॥ ३ ॥ ॥ सुनि. ॥ जिन श्रेनि सुर्य सुइ कलन सु रमने, कलि कलन उवन जिनु रमिजै । कलि कलन सहावे केवलि उवने, जिन श्रेनि कलन सिद्धि रमिजै ॥ ४ ॥ ॥ सुनि.॥ कलि कलन उवन जिन चरन सु चरिज, चरि चरन कलन चरि रमिजै । चरि चरन उवन सुइ चरन जिनय जिनु, चरि कलन मुक्ति सुइ मिलिजै ॥ ५ ॥ ॥ सुनि. ॥ चरि चरन रमन जिन रमन सु उवने, रमि रमन चरन जिनु रमिजै । चरि चरिय उवन षट् रमन जिनय जिनु, उव रमन मुक्ति सुइ मिलिजै ॥ ६ ॥ ॥ सुनि. ॥ जय उवन रमन तत्काल रमन जिनु, हिय हुव रमन रमन जय मिलिजै । रमि रमिय लोह सुइ परिस रमन जिनु, उव समय परस सिद्धि रमिजै ॥ ७ ॥ ॥ सुनि. ॥ (३८७)

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