Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी उव उवन अर्क सुइ विंद समानी,
उव उवन मिलन सिद्धि मुक्ति विवानी ॥ २ ॥ न्यानी हो जिन अगम विवानी,
न्यान विन्यान होय पहिचानी । दिप्ति दिस्टि उव सुन्न समानी,
उव उवन उवन दरसायौ स्वामी ॥ न्यानी हो तुम अगम विवानी,
न्यान विन्यान होय पहिचानी ॥ ३ ॥
(१५८) मिलन समय फूलना
गाथा ३१३८ से ३१५२ तक
(विषय: औकास - निज स्वभाव रमणता का पुरुषार्थ) विलस रमन जिन मो ले जाई,
उव उवन स्वाद रंग मिलन मिलाई ॥ १ ॥ जिन हो साही जिनय जिना, जिन उवन समय सुइ सिद्धि रमना ॥ २ ॥
॥आचरी॥ जं सूर उदय सुइ रयन गलाई, तं उव उवन उदय सुइ सरनि विलाई ॥ ३ ॥
॥जिन हो.॥ जिन दिप्ति उवन सुइ समय समाई, जिन दिप्ति दिस्टि सुइ रमन रमाई ॥ ४ ॥
॥जिन हो.॥
जिन सुवन सुयं सुइ सम विलसाई, सम समय सरन सम मुक्ति लहाई ॥ ५ ॥
॥ जिन हो.॥ जिन दिस्टि उवन सिद्धि सम विलसाई, जं सूर कमल जिन सुयं विगसाई ॥ ६ ॥
॥जिन हो.॥ हिययार उवन सम उवन सहाई, हिय रमन सुन्न सम मुक्ति लहाई ॥ ७ ॥
॥जिन हो.॥ उव उवन मिलन सुइ काल विलाई, जं जाइ नाम गुन सुन्न समाई ॥ ८ ॥
॥जिन हो.॥ जिन उवन मिलन सुइ मुक्ति मिलाई, जं परिस रमन सुइ सुन्न समाई ॥ ९ ॥
॥जिन हो.॥ जिन उवन अचिंत सुइ सुन्न प्रवेसु, जं मलय रमन सुइ सुन्न रमेसु ॥ १० ॥
॥ जिन हो.॥ जिन उवन चिंत चिंतत अचिंतु, जिन अचिंत चिंतामनि मुक्ति मिलंतु ॥ ११ ॥
॥जिन हो.॥
(४२४)

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