Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
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श्रीनाममाला जी
केवाल यात
श्री नाममाला जी
नाम ठाम अर्क छत्तीस को, महा उत्पन्न कलि कमल न्यान श्री उत्पन्न अर्जिका कलन कमल कल कमल श्री उत्पन्न पट तारन तरन, तस्य उत्पन्न सुव पांच - दिप्ति जिन ५३१३१, रुइया जिन २१७७४, कलन जिन ३३७२, मेघ कुंवार ७७८४, सिव कुंवार ५७७२, अन्मोय रुइया जिन । सुवनी तीन - कल्पश्री, अल्पश्री, स्वल्पश्री, कमल कलि कलन प्रवेस सतसई । सखी बहिनी चार - सक्त श्री, विक्तश्री, विवानश्री, निलयश्री। विवानश्री के उत्पन्न पाँच-हियनंदश्री श्रेण हरकुंवार, कलनश्रेण कुंवरश्री, दर्सकुंवार दादे, चेयकुंवार चंदपारु, उवन श्रेण प्रदेस राठौर - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो।
सवनी दो- विपनश्री, मिलनश्री। विक्त श्री के उत्पन्न पांच - दिप्ति कुंवार देऊ श्री, सहजकुंवार सहजश्री, उक्तकुंवार उदैश्री, सुवन कुंवार सुषमलु, साहकुंवार प्रदेस । सुवनी तीन-दिप्तिश्री, सुवनश्री, संतश्री, अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो।निलयश्री के उत्पन्न पांच - सुवनरंज भीषम, कलनकुंवार मनसुष, कलनरंज कर्मचंद, निलयकुंवार नरदेव, नंदकुंवार प्रदेस । सुवनी तीन - सुर्यश्री, साहश्री, सुल्पश्री -अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो।
महा उत्पन्न अर्जिका पट तारन तरन चरनश्री, तस्य उत्पन्न दो-रैनचंद ४९६, अन्मोद विस्वसेन । सुवनी दो - मैनश्री, ममलश्री । महा उत्पन्न न्यानसिरी अर्जिका पट तारन तरन करनश्री, तस्य उत्पन्न तीन - पय रमन पदम, मयरमन मंडरिक, सुव रमन ६९, जयसिंधु १४७४, सुवनी दो- परमश्री, निलयश्री।
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी फुटकर - अभैकुंवार ३७२, रंजकुंवार १४२, पदम कमल तस्य उत्पन्न पाँच - निलयरंज ३७२, गोविंद २४३, तिजैरंज तेल २७, ममलकुंवार मढ़ा २२७, दितिरंज प्रदेस ३०७, अचुरमन प्रदेस । सुवनी तीन - जानसुवा, मयन सुवा, लीनसुवा - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो।
फुटकर नाम - रमन रूवरूपा, रमनरंज गनेस, परमसुवा पारवती, नंद रूवा नाथ, दान रूवा देवला। महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पट तारन तरन हंसश्री, तस्य उत्पन्न दो-अन्मोद षिम रमन ३७२, रयन रमन १४४ । सुवनी एक - रयनश्री-अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो।
महा उत्पन्न न्यान श्री अर्जिका पट तारन तरन सुवन श्री, तस्य उत्पन्न पाँच - ममल कुंवार नरसिंघ ८४, ममल रंज धारू ३४३, सुवन रंज कुंवार ३४, भुवनरंज ६४, सुवन रंज सेठि १०१, भेउ श्री अभयकुंवार। सुवनी तीन - अलष सिरी, ममल सिरी, दिप्ति सिरी। निलय श्रेन राजा, निलय श्री रानी, सतसई स्वरूप उत्पन्न सुवृत्ति बहनी चार - सुवन पट जिन श्रेणि परम श्री, अन्मोय जिन श्रेणि तस्य उत्पन्न हिय ममल कुंवार ५४, लीन कुंवार लषऊ ५२, लषन कुंवार ललऊ ७२, रंज श्रेन रमन ४१ । सुवनी तीन - नैनश्री, जित श्री, उवन श्री प्रदेस । विपन श्रेणि सतसई तस्य उत्पन्न तीन - रमन रंजराउ ३१, दिप्ति कुंवार सहस ३७, निल कुंवार ३ । श्री सुवनी दो - सील श्री, सरूप श्री, अन्मोय जिन श्रेणि धर्म धारि तस्य उत्पन्न - दिप्ति कुंवार देव श्री ८४, सिवकुंवार उपति ३१, उवनरंज देवसी २४, रैनरंज राईचंद १७, सहज रंज प्रदेस ४७ । सुवनी तीन - मैनश्री, पयनश्री, सुहागश्री, सुहागश्री की बहिनें तीन, रिसिरंज लाउन रमन श्री ६७ । महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पट तारन तरन औकास श्री, तस्य
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