Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai

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Page 459
________________ श्री नाममाला जी तस्य उत्पन्न तीन - नितकुंवार नैनसिरी, दिप्तिकुंवार देउचंद, उक्तनंद ठाकुरसिरी । सुवनी - जैनसिरी, जानसिरी, प्रेमसुवा पांचौ साजई (सनाई) । उक्तरूवा उदैसिरी, धुवरूवा धुवा, कमलरूवा कुंवरसिरी, ममलसवा मदनसिरी, जय षिपकसुवा षिउसिरी विरदहा (सनाई), उक्तरूवा ठाकुरसिरी विरदहा, ईर्जरूवा ईदा, गमनरूवा गाइति बांभौरी, अषैकुंवार अठुमहौड़ी। महा उत्पन्न न्यानसिरी अर्जिका पयोग पट तारन तरन जिन श्रेनि लषनसिरी, तस्य उत्पन्न - लषनसिरी की बहिनें चार - रंजसिरी, वैनसिरी, विद्धिसिरी, सिवसिरी। दूसरी वैनसिरी के उत्पन्न तीन-रंजकुंवार रतनसिरी पचहाड़ा, पियकुंवार पतु सेमरखेड़ी, जिनकुंवार प्रदेस । सुवनी तीन - विपनसिरी,चरनसिरी, रिद्धिसिरी। रिद्धिसिरी तस्य उत्पन्न - अभैरंज भौंराज, जैनरूवा जीजी बहिनी मुड़ियाषेड़ौ, वैनकुंवार, रूवरंज रूपसिरी, दिप्तिकुंवार दीपा, पयरंज चाँदो, तिलकरूवा तिभुवा, भुवनरंज भीषम, अल्परंज अबला, कर्णकुंवार कपूर, कमलकुंवार कुबरू, रैनरंज राइता, पयकुंवार आसमल, रैनरूवा रमादे, सइसुवा रामश्री, कमलरूवा कुंवर सिरी, त्रितरूवा नैना, रंगरूवा रमा, भक्तरूवा भुवनी। महा उत्पन्न न्यानसिरी अर्जिका पयोग पट तारन तरन जिन श्रेणि लीनसिरी, तस्य उत्पन्न- फुटकर-लीनरूवा लषनसिरी, निलयरूवा नाहा, चरनरूवा चांदनसिरी, लवनरूवा लाड़ो, रैनाउति रामश्री, प्रभावती पंवारसिरी, लषनरूवा लषनसिरी, ईषुरूवा छीता, विनयरूवा विमलश्री, सियकंवार लषनश्री, सियकुंवार रूपरथी, अलषरंज अषयराज, कल्परूवा कौरा, अभैरंज भीषन, कलन कपारू रामचंद। श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पयोग पट तारन तरन भद्रसिरी, तस्य उत्पन्नता। महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पयोग पट तारन तरन मय उवनश्री, तस्य उत्पन्न - रिषि, कल्पकुंवार कुवरू ११३३, सिवकुंवार सिवदास ७७२, धुवकुंवार प्रदेस ३३२, जयकुंवार प्रदेस २८४, सुवन अन्मोय कर्नकुंवार। सुवनी- रमनश्री, विपनश्री विमात - कनकश्री, अन्मोय कर्नकुंवार । सुवन कुंवार घुटऊ राख ९८४, रमनरंज समोषनु ३३५, चन्द्ररंज २३३, रयनकुंवार प्रदेस ३०७, सहजकुंवार घेउसिरी, कल्पसिरी-अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। कलन जिनकुंवार, इस्टकुंवार आसमल, सुवनी दो- लाड़श्री, सयन सिरी। कर्नकुंवार कर्नचन्द, हियरंज हंसराज, नितश्री अन्मोय, पय उवनश्री पयोग जिन मिलन श्रेणि विगसिश्री, विरतिश्री, कनकसिरी करमावाड़ी, सहजरंज संधैनपति (संघपति)। सहजसिरी की बहिनें चार - सतसई अगमरूवा, पयरूवा, अलषावती, पिय रमनरूवा । पियरमनरूवा तस्य उत्पन्न - इच्छकुंवार छितरू ८४, विगसकुंवार विमल ७४, सहजकुंवार छीतरू, षेउराज ३४, मिलनरंज महाराज ४७, रयनरंज राइचंद ४२, अयकुंवार प्रदेस ११९ । सुवनी दो - सयनरूवा, षिपकरूवा - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो। अलषाउती तस्य उत्पन्न छह - सहजकुंवार महनश्री २८७, अगमकुंवार जिना ४४, सेउकुंवार धारू ४२, सुल्पकुंवार मानिक ८२, सहजरंज महेस ८१, उक्तरंज प्रदेस ११७, सुवनी - कल्परूवा - अन्मोय जिन श्रेणिकलन मुक्ति गामिनो।

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