Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जिन जिनयति जिनय जिनय जिन स्वामी,
___जिन अबलबली जिन पाये । जिन तारन तरन उवन जिन उवने, सह समय सिद्धि विलसाये ॥ ५ ॥
॥ नयन. ॥ जिन जिनय श्रेनि जिन कलन श्रेनि जिनु,
जिन वीर समय परसि पाये । जिन तारन तरन जिनु उव कमल रमन जिनु, उव समय मुक्ति विलसाये ॥ ६ ॥
|| नयन. ॥
श्री ममल पाहुइ जी
(११५) मुक्ति विलास फूलना गाथा ३१२१ से ३१२६ तक
(विषय: औकास) अप्प परम पय परम रमन जिनु,
परम समय सुइ राये । पर परम उवन जिनु परम धुवं जिनु,
सह समय सिद्धि विलसाये ॥ १ ॥ नयन मेरे ममल मयं, ऐ जिन देषत तरन विवान । नयन मेरे ममल मयं, पर परसत उवन विवान ॥
वयन जिनके धुव रमनं ॥ उव उवन प्रवेस विवान परम पय परम पयं । रम रमयति उवन विवान उवन सम मुक्ति जयं ॥ २ ॥
॥आचरी॥ जय जय जयं जिनु, जय उवन रमन जिनु,
जय जयो जयं जिन पाये। जय जयो लोय उवलोय लोय जिनु, जय समय मुक्ति विलसाये ॥ ३ ॥
॥ नयन. ॥ पय पयं पयं जिनु पय उवन रमन जिनु,
पय परम अलष जिनु पाये । पय अलष अगम पय अथह समय जय, जय जयं मुक्ति विलसाये ॥ ४ ॥
॥ नयन. ॥
(११६) रमन प्रवेस फूलना
गाथा ३१२७ से ३१३४ तक
(विषय : सुन्न स्वभाव रमन, सुन्न दहावरी) जय जयो जयं अवयास उवन जिनु,
उव उवन अवयास रलाऊं । रलि रलिय उवन सु विस्व पय जिनवर,
जिन जिनय मुक्ति विलसाऊं ॥ १ ॥ जिनवर मुक्ति रमाये स्वामी,
उव उवन दिप्ति मिल जाऊं। जिनवर रमन रलाये ऐ स्वामी,
रलि रलत न संक करेइ ॥

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