Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai

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Page 437
________________ श्री छद्मस्थवाणी जी उत्पन्न जोति उक्तावती ।। ३६ ।। उत्पन्न जोति अतुलावती ।। ३७ ।। उत्पन्न जोति लखनावती ॥ ३८ ॥ उत्पन्न जोति उल्हसावती ॥ ३९ ॥ उत्पन्न जोति विलसावती ॥ ४० ॥ उत्पन्न जोति हरषावती ।। ४१ ।। उत्पन्न जोति विज्ञावती ।। ४२ ।। इति जोति संसर्ग सतसई सहगामिनी ।। ४३ ।। मनपर्जय न्यानी पांच सौ सुष्येन मुक्ति गामिनो विदी ॥ ४४ ॥ सुवन जिन ।। ४५ ।। दिप्ति जिन ।। ४६ ।। कलन जिन ॥। ४७ ।। अगम जिन ॥ ४८ ॥ रयन जिन ।। ४९ ।। सुष रमन ।। ५० ।। विगस रमन ॥ ५१ ॥ वसु रमन जिन ।। ५२ ।। सहज जिन ।। ५३ ।। रमनश्रेन राचंद, रैदनु ॥ ५४ ॥ प्रति गणधर चौदह सौ सुष्येन मुक्ति गामिनो अन्मोय कमलावती रुझ्या जिन ।। ५५ ।। ॥ इति द्वितीयोऽधिकारः ॥ ४३७ ॥ तृतीय अधिकार १ ॥ ॐ नमः सिद्धं पं. श्री विमलचंद ॥ पं. श्री पेमचंद ॥ पं. श्री पेमराज पांडे ॥ ७ ॥ सुहगावती ॥ ८ ॥ गुप्त रंज कुंवारु ॥ ९ ॥ विगसरंजु ॥ १० ॥ मिलन ॥ ११ ॥ धर्मसिरी ।। १२ ।। अभयावती ।। १३ ।। भीषा ।। १४ ।। पदमावती ।। १५ ।। चरनावती ।। १६ ।। हियनंद कुंवार हला ॥ १७ ॥ ममलावती ।। १८ ।। मनोवती ॥ १९ ॥ प्योराजु पांडे ।। २० ॥ हरसिनी ॥ २१ ॥ महासिरी ।। २२ ।। भावश्री ।। २३ ।। इति प्रति गनधर सौधर्म स्वर्गी ८००० सुष्येन मुक्ति गामिनो विदी || पं. श्री मैनरंज सुषेन ॥ १ ॥ सिंघई रूपरंज सुषेन ॥ २ ॥ पं. श्री नेमीदेव सुषेन ॥ ३ ॥ झान श्री सुषेन ॥ ४ ॥ रूपनिधि सुषेन ॥ ५ ॥ भुवनी भावसिरी सुषेन ॥ ७ ॥ हियरंज रूवा सुषेन ॥ ८ ॥ कनकश्री सुन ॥ ९ ॥ श्रीदत सुषेन ।। १० ।। रूपन महरी सुषेन ॥ ११ ॥ ब्रह्मदेव सुषेन ॥ १२ ॥ महाश्री सुषेन ।। १३ ।। रतनश्री सुषेन ।। १४ ।। माडन सुषेन ।। १५ ।। चौधरी राजधर सुषेन ।। १६ ।। चरनावती चन्द्रा सुषेन ॥ १७ ॥ हंसावती हंसा सुषेन ।। १८ ।। कमलश्रेणि ।। १९ ॥ बैनकुंवार ।। २० ।। राइचंद ॥ २१ ॥ विरऊ ब्रह्मचारी ।। २२ ।। नयनश्री ।। २३ ।। पालेन ॥ २४ ॥ महासिरी ।। २५ ।। सुषेन ॥ ६ ॥ ३ ॥ ५ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी ।। पं. श्री धर्मचंद ॥ २ ॥ पं. श्री मलदास ।। ४ ।। पं. श्री भीषम ।। ६ ।। -

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