Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी तं विगत षिपनु अविगत श्रवना, तं परमनंद अविगत उवना ॥ १२ ॥
||जै जै. ॥ सुइ सब्द रमनु लष अलष जिना,
उव सब्द रमन गम अगम रमा । इस्ट उवन सब्द उव उवन जिना, उव उवन सब्द इस्ट मुक्ति जिना ॥ १३ ॥
॥ जै जै.॥ इस्ट उवन सब्द वंस उवन जिना,
उव उवन सब्द हुव हुव गमना । इस्ट उवन लषन लष अलष उवना, उव अगम अलष्य सिद्धि उव रमना ॥ १४ ॥
॥जै जै.॥ इस्ट उवन रमनु लष उवन जिना,
उव उवन रमन मुक्ति अलष रमा । इस्ट गमन रमनु गम उवन मना, उव उवन अगम हुव सिद्धि गमना ॥ १५ ॥
॥ जै जै.॥ पर्जय इस्ट रमन सुइ उवन मना,
पर्जय उव उवन सु मुक्ति मना । इस्ट लषन गमन गम लषय मना, उव अलष अगम मनु मुक्ति जिना ॥ १६ ॥
॥ जै जै.॥
हिय हुव सुइ लब्धि सु जिनय जिना,
___उव कल्प उवन हिय हुव रमना । सुइ कलप सुयं लहि लब्धि जिना, उव उवन हियं हुव सिद्धि रमना ॥ १७ ॥
||जै जै.॥ जय वीर समय उव उवन जिना,
जय पूर्व रमन दिपि दिस्टि जिना । उव उवन कलन जिन श्रेनि जिना, सुइ श्रेनि कलन कलि सिद्धि रमना ॥ १८ ॥
॥ जै जै. ॥ जय तार तरन जय जय रमना,
जय उवन कमल जिन सिद्धि गमना । जय तार कमल जिन धुव उवना, उव उवन समय सिद्धि मुक्ति जिना ॥ १९ ॥
॥ जै जै.॥
(१४00 विसि अंग फूलना गाथा २८८७ से २९०३ तक
(विषय : दस दिशा, आठ अंग) उव उवन उवन पय उव उवन समय जय,
उव उवन उवन उव उवन वरी । जय जयो जयो जय जयो जयं जिनु,
जय रमन सुयं जिन मुक्ति वरी ॥ १
॥

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