Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
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श्री ममल पाहुड
जी
चर चरन उलटि चरनी, चर चरियौ नंतानंतु ।
ममल रस चर जयनी ॥ ५ 11 ॥ जिन. ॥
चर चरन कंठ चरनी, जिन कंठ चरन सम उत्तु । कमल सर ठव उवनी ॥
उव उवन अनंत रवनी, सुइ नंत सहन सुइ साह । जिनय जिन उव उवनी ॥ ॥
उव उवन उवन चरनी, सुइ तालु रमन जिन जिनय । जिनय पै जिन उवनी ॥
सुइ रमन रयन उवनी, तत्काल रमन सुइ उत्तु । रमन पय रय रयनी ॥ ॥
६ || जिन. ॥
सुइ चरन उवन चरनी, सुड़ अर्क विंद सुड़ चरन । नंत अर्क जिन चरनी ॥ सुइ नंत विंद रवनी, सुइ सरन कलन कलि नंत । कलन जिन जिन रवनी ॥
॥
७ ॥ जिन. ॥
सुइ दर्स दर्स चरनी, सुड़ चरन दर्स जिननाहु । दर्स जिन रमन जिनी ॥ ध्रुव धुवं इस्ट उवनी, सुइ सुयं सुद्ध धुव रमन । उवन जिन ध्रुव रमनी ॥ ८ 11 ॥ जिन. ॥
९ 11 जिन. ॥
४०८
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
सुइ कलन रमन कलनी, कलि कलियौ नंत विसेष । कमल जिन पय रखनी ॥ जंकलन कलिय उवनी, कलि कलन कलिय जिननाहु । कमल पय पय रवनी ॥ १० ॥ ॥ जिन. ॥
जय चरन कलन कलनी, सुइ रमन अनंतानंत । कमल सर सरन जिनी ॥ जय चरन कलन रवनी, धुव पयडि अनंतानंत ।
कमल सर सिद्धि रखनी ॥ ११ ॥ ॥ जिन. ॥
सुइ कमल ममल उवनी, ध्रुव मुक्ति रमन जिननाहु कमल जिन जय जयनी ॥ १२ ॥ ॥ जिन. ॥
सुइ उवन कमल रखनी सुइ केवल नंतानंतु । मुक्ति जिन सिद्धि रखनी ॥ जिन श्रेनि श्रेनि रवनी, सुड़ कलन कमल जिननाहु ।
समय जिन सिद्धि गमनी ॥ १३ ॥ ॥ जिन. ॥
सुइ तार तरन तरनी, सुइ तार कमल जिन सिद्धि । सिद्ध जिन जिनय जिनी ॥ सुइ तार समय रवनी, सुइ तरन समय सिद्धि रत्तु ।
कमल पय परम जिनी ॥ १४ ॥ ॥ जिन. ॥

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