Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
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श्री ममल पाहुइ जी सुइ तारन तरन सु उवन कमल जिनु,
धुव उवन तरन पर पारा रे । सुइ तार कमल पिय उवन कमल जिनु, उव समय सहज सिद्धिआला रे ॥ ११ ॥
॥ गुपित.॥
उखन भुक्त विलयत ॥ ६
(१५१) जिनेली फूलना गाथा ३०६३ से ३०७५ तक
(विषय : हुलस, विगसु, विलसु) जिन जिनय जिनेली मै वई, जिन उत्पन्नी जोगु । सुइ सुर्य सु विलसै जिनय जिनु, सह समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ १ ॥ जिनेली मेरी उल्हसति है, यहु अलष मेरे जन लोगु । जिनेली मेरी विगसति है, सुइ रंज रमन जिन नंदु ॥
जिनेली मेरी विलसति है ॥ २ ॥
॥आचरी॥ उव उवन उवन पौ साहियौ, उव उवन मुक्ति संजोग । सह साह सुवन सुइ रमन जिनु, सह समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ ३ ॥
॥जिनेली.॥ जिन जिनयति जिनय सु उवन जिनु, जिन जिनियौ नंतानंतु । यह नंत चतुस्टै समय मौ, सह समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ ४ ॥
॥जिनेली.॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी सह दर्स दर्स उव दर्स जिनु, परिनाम कोड संजत । सुइ अर्क विंद सम सुन्न पौ, सम अर्क समय सिद्धि रत्तु ॥ ५ ॥
॥जिनेली.॥ सड उवन विली उव सन्न पौ, उव उवन भुक्त विलयंतु । सुइ विनंद विली जिन नंद मौ, सुइ नंद समय सिद्धि रत्तु ॥ ६ ॥
॥जिनेली.॥ सुइ नंद विंद उव सुन्न पौ, सुइ सुन्न कम्मु विलयतु । सुइ सुन्न उवन हिय ताग मौ, हिय ताग समय सिद्धि रत्तु ॥ ७ ॥
॥जिनेली.॥ सुइ सुन्न सहावे विंद मौ, सुइ विंद सुन्न जिन उत्तु । सुइ सुन्न विंद अर्क समय मौ, सुइ अर्क समय सिद्धि रत्तु ॥ ८ ॥
॥जिनेली.॥ धुव दिप्ति दिस्टि उव दिप्ति मौ, उव उवन दिप्ति जयवंतु । जय जय जय जय अर्क मौ, जय समय सिद्धि संपत्तु ॥ ९ ॥
॥ जिनेली.॥ आराहि उवन सह समय मौ, आलाप मुक्ति सिय सिद्ध । आयरन तित्थ तित्थयार पौ, तित्थयर समय सिद्धि रत्तु ॥ १० ॥
॥जिनेली.॥ उव उवन दिप्ति हिययार पौ, हिय साहि समय धुव उत्तु । हिय साहि समय हुव उवन पौ, हुव समय मुक्ति विलसंतु ॥ ११ ॥
॥जिनेली.॥
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