Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai

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Page 397
________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जय जयो जयो जय कलन जयं, जय रमन कमल जिन सिद्धि रमनं ॥ १४ ॥ || जिन ॥ जय श्रेनि कलन कलि कलिय जिनं, जय कलन कलिय जिन जिनय जिनं । जय तार कमल सम समय जिनं, सह समय साहि सुइ मुक्ति जयं ॥ १५ ॥ || जिन.॥ श्री ममल पाहुइ जी जय कलन कलन कलि कलन रयं, जय कलन रमन धुव जिनय जिनं । सुइ चरन चरिय जिन कलन जयं, जय उवन कलन जिन परम जयं ॥ १० ॥ ॥जिन.॥ जय कलन कलिय जिन कंठ उवनं, जय कलन कलिय जिन रमन जिनं । जय कलन रमन तत्काल जिनं, जिन कलन कलिय जिन धुव उवनं ॥ ११ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन कलन कलिय जय दर्स जिनं, जय नंत दर्स जिन कलन जिनं । जिन कलन कमल जय धुव उवनं, जय कलन उवन धुव मुक्ति जयं ॥ १२ ॥ ॥ जिन.॥ जिन कमल कलन पय धुव उवनं, जय चरन कमल सुइ कलन जिनं । जय पदम कमल पय परम जिनं, जय उवन कमल सिद्धि मुक्ति जयं ॥ १३ ॥ ॥ जिन. ॥ जय कलन कमल कलि कलिय जिनं, जय कमल सहज जिन उवन जिनं । (१३८) उव उवन अर्क सोलही फूलना गाथा २८५१ से २८६७ तक (विषय : अर्क चौबीस) जय जयो जयो जय जयो अनंदु, जय जयन सहावे स्वामी मुक्ति जिनंदु । जय जयो जय जय जयन स रिद्धि, जय जयो उवन सम समय सु सिद्धि ॥ १ ॥ उव उवन उवन उव उवन स वीरू, उव उवन समय जिन श्रेनि स धीरू । उव उवन कलन सिद्धि मुक्ति सु वासु, उव तार कमल जिन मुक्ति निवासु ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ (३९७)

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