Book Title: Aagamiy Suktaavali Aadi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 5
________________ श्री आगमीय-सूक्तावलि-आदि आगमीय सूक्तावलि मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता आगमीय-सूक्तावलि-आदि आगम-संबंधी-साहित्य मा धर्नु नाम श्रीभागमीयमुक्तावत्यादि डे. तेनी अंदर परमतारक आगमोद्धारक आचार्यदेव श्रीआनन्दसागरसूरीश्वरजी महाराजभीए आगमोमाथी तारबेला तेप्पन (५३) विषयोमाथी (१) आगमीयमुक्तावलि (पत्र. ४९ सुधी.), (२) आगमीयसुभाषित (पत्र. ४१ थी ५० सुधी), (३) आगमीयसंग्रहलोको (पत्र, ५० थी ५१ सुधी) भने (७) भागमीयलोकोक्ति (पत्र. ५२ थी अंत्य पत्र सुधी)-एम चार विषयो आपवामां आव्या छे. आ सर्व वस्तुने समजवाने माटे जे पत्र अंक अने पंति अंक आपवामा आवेल छे ते आगमोदय समिति अने देवचंद लालभाइना छपायेला आगमोना . छेद ग्रंथोना ज विभाग अंक, पत्र अंक अने पंक्ति अंक जे आपेला ते तेओधीना भंडार श्रीजनानंद पुस्तकालयनी हाथपोथी उपरथी आपवामां आवेला छे. आ ग्रंथ पत्र ५१ सुधी जैन विजयानंद प्रिन्टिंग प्रेसमा अने बाकीना पत्रो सरस्वती प्रिन्टिंग प्रेसमा छपायेला छे. आ ग्रंथर्नु आटलुं मूल्य वर्तमानकालने आभारी छे. आ ग्रंथना प्रूफोर्ने कार्य मुनि श्रीकंचनविजयजी तथा मुनि श्रीक्षेमंकरसागरजीए कयु हे. उपरांत, ते कार्यमा ज्यारे ज्यारे शंका पडी त्यारे त्यारे आगमोद्धारक आचार्यदेवधीना पट्टधर, दीर्घदीक्षित, विद्याव्यासंगी अने निरभिमानी आचार्य महाराजश्री माणेक्यसागरसूरीश्वरजी महाराजने पूठीने तेनुं निवारण करवामां आव्यु छे. वळी तेोधीप प्रूफ उपर पण इष्टिपात कों छे. तेथी तेओश्रीओना अमे ऋणी डीए. आ. ग्रंथ- प्रकाशन श्रीजैन पुस्तक प्रचारक संस्था तरफथी श्रीआगमोद्धारसंग्रह भाग ८ तरीके यहार पाडवामां आव्यु छे. सजन पुरुषो आ सूक्तावलि आदिनो उपयोग करशे अने आ प्रयत्नने सफल करशे. वि. सं. २००५ लि. प्रकाशक. अक्षयतृतीया. ~5~

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