Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 483
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसू अध्ययनं , मूलं - /गाथा-], नियुक्ति : [८४१-८४७/८४१-८४७], भाष्यं [१५०...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 N दीप श्री. विच्छिण्णा ओणतणतपणतविषधाइतओलंक्माणसाहप्पसाहविडिमा अवायीणपचा अणुदीणपत्ता अच्छिद्दषत्ता अचिरलपचा लिया *नितजरढपंड्डपत्ता नवहरितभिसंतपचा, भारंधकारसस्सिरिया उत्रीणग्गततरुणिपत्नपल्लवकोमलकिसलतचलंतउज्जलसुकमाल पवालसोभितवरंकुरग्गसिहरा निच्चं कुसुमिता निच्चं मोरिया निर्च लवइता निच्च थवइता निच्च गोच्छिता निचं बमलिता निच्च जुबलिया निच्च विणमिया निच्चं पणमिता निच्च कुसुमितमाइतलवइयथवइयतगुलुइतगोच्छितजमलितजुवलितविणामि-| तपणमितमुविभत्तपिंडमंजरिवडंसयधरा सुकवरहिणमदणसालकोइलमणोहरा रहतमत्तछप्पयकोरंटयभिंगारगकोणालजीवंजीक्कनंदि-| ॥४७७|| मुहकविलपिंगलक्खयकारंडकचक्कवायकलहंससारसअणेगसउणगणमिहुणवितरितसदुष्णइतमधुरसरनादिता सुरंमा सपिडितद रितभमरमधुकरिपहयरिपरिलेन्तमचछप्पदकुसुमासवलोलमधुकरिगणगुमुगुमेन्तगुंजतदेसभागा अभतरपुष्फफला बाहिरपत्तोच्छ प्णा निरोदया सादुफला अकंटया णाणाविहगुच्छगुममंडवयरमसोभितविचित्तमहसेतुकेतुबहुला बावीपोखरिणीदीहियासु य सुणिवे-13 दासितरमजालघरया पिंडिमणीहारिमं सुगंधि सुहसुरभिमणहरं च महता गंधद्धणि मुयंता अणेगसगडरहजाणजुग्गगेलिवेल्लियसीय-1 का संदमाणियहरिसोदणा सुरंमा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा ।। तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्मदेसमाए एत्य गं मई 8एगे असोगवरपादपे होत्था, दूरोगतमूलकंदवट्टलद्रुसंठितसिलिट्ठपणमसिणनिद्धनिव्वणसुजातनिरुवहओविद्धपवरखंधी अणेकनरपवर &ा भुयगज्झे कुसुमभरसमोनमंतपत्चलविसालसाले महकरिभमरगणगुमगुमाइतनिलेतउडेतसस्सिरीए णाणासउणगणमिटुणसुमधुरकरणा-I&I सुहपलेंतसहपउरे कुसविकुसविशुद्धरुक्खमूले पासादीये दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिरूवे। से असोगवरपादवे अण्णेहिं बहूहिं तिलएहि लउसेहिं छत्तोदएहिं सिरीसेहिं सत्तिवण्णेहिं दहिवण्णेहि लोध्धेहिं धएहि चंदणेहिं अज्जुणेहि निव्वेहिं कुलएहि कलंबेहि भच्चेहि | अनुक्रम न 1. (483)

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