Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 623
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं [१], मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति : [१०६५-१०६६/१०५४-१०५५], भाष्यं [१८९...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 सामायिक व्याख्यायां णायम्मि गिण्हितब्वे अगेण्डियमि व अत्धमि। जतियब्वमेव इति जो उवएसोसो नयो नाम।।१०-८०॥१०६५॥ करणनयो-सबेसिपि नयाणं बहुविहवत्तव्ययं निसामंत्ता। सबनयबिसुद्धं जं चरणगुणद्वितो साधू ॥१०॥८शा१०६६।। एवं जथा सामाइयं विभागेण ग ओघेण मग्गितं एवं सम्बज्झयणा सट्ठाण पजेयं पत्तेयं ।। इति सामाइयनिज्जत्ती सम्मत्ता ।। द्रव्यमावव्युन्सगा नयाश्च १६१७॥ इति श्रीजिनदासगणिमहत्तरकृतायामावश्यकचूर्णो सामायिकचर्णिः समाप्ता ॥ समाप्तश्च पूर्वभागः ॥ AUTARIYAR Ram मुनिश्री दीपरत्नसागरेण पुन: संपादित: (आगमसूत्र ४०) __ “आवश्यक-चूर्णि: [भाग-१]” परिसमाप्ता: (623)

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