Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 486
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसू अध्ययनं , मूलं - /गाथा-], नियुक्ति : [८४१-८४७/८४१-८४७], भाष्यं [१५०...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 अद्वय चूर्णी 1 भद्दस्स रण्णो एगे पुरिसे विउलकयविची भगवतो पउचिवाउए तद्देवसिय पउत्ति निवेदेति, तस्सण पुरिसस्स बहवे अण्णे पुरिसा आवश्यक | दिण्णभतिभत्तवेतणा भगवतो पउत्तिवाउया भगवतो तद्देवासयं पउचिं निवेदिति । तेणं कालेणं तेणं समएणं दसण्णभद्दो राया बाहिरियाए उवहाणसालाए अणेगगणणायगदरणायगराईसरतलबरमाडंपियकोडंबियमंतिमहामंतिगणकदोवारियअमच्चचेढपीनियुक्तो 18/ ढमदनगरनियमसेडिसेणावतिसत्थवाहदुतसंधिपाल सद्धिं संपरिपुडे विहरति । तेणं कालेण तेण समएणं समणे भगवं महावीरे आदिकर तित्थकरे सहसंयुद्ध, पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिस॥४८० वरगंधहत्थी, लोगुत्तमे लोगणाहे लोगप्पदीवे लोगप्पज्जोतकरे, अभयदए चक्खुदए मग्गदए जीवदए सरणदए(चोहिदए), धम्मदए । | धम्मदेसए धम्मनायगे धम्मसारही धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी, दीवो ताणं सरणं गती पइट्टा अप्पडिहतवरनाणदसणधरे वियदृछदुमे अरहा जिणे केवली सचण्णू सन्नदरिसी सत्तुस्सेहे एवं जथा निक्खमणे जाव तरुणरविकिरणसरिसतिये अणासवे अममे अकिंचणे छिण्णगथे निरुवलेवे वबगतपेम्मरागदोसमोहे निम्गंथस्स पवयणस्स देसए णायए पतिट्ठावए समणगणपती समणगणवंदपरिवट्टए चोत्तीसयुद्धातीसेसपत्ते पणतीससच्चवयणातिसेसपचे आगासगएणं छत्तेणं आगासफलियामएणं सपादपीठेण सीहासणेणं सेतवरचामराहि उधुव्वमाणीहि२ पुरतो धम्मज्झएणं पकढिज्जमाणेणं अणेगाहिं समणअज्जियासाहस्सीहि सद्धिं संपरिखुडे पुवाणुपुचि चरमाणे गामाणुगार्म दूइज्जमाणे मुहंसुहेण विहरमाणे दसण्णपुरस्स नगरस्स चहिता उवणगरग्गामं उवगते नगरं समोसरिन तुकामे । तते णं से पउनि साहि कमममिरिसंसिताहि उप्पतिततुरियचवलमणपवणजइणसिग्धवेगाहिं विणीताहि सबहुगाहिं चेव कलितो णाणामणिकणगरतणमहरिहतवाणिज्जुज्जलविचित्चदंडाहिं वत्तीयाहिं नरपतिसरिससमुदयप्पमासणगरीहिं महग्धवरपट्टणुग्ग दीप अनुक्रम Ti४८० (486)

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