Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(४०)
"आवश्यक'- मूलसू अध्ययनं , मूलं - /गाथा-], नियुक्ति : [८४१-८४७/८४१-८४७], भाष्यं [१५०...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1
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आवश्यक
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निद्धोप्पण्णे अझुसिरे रूवयपडिरूबदरिसणिज्जे आयसतलोवमे सुरम्मे सीहासणसंठिते सुरूवे मुनाजालखइयंतकणे आयीणकरुयश्री बूरणवणीततूलतुल्लफासे सवरतणामए अच्छे सण्हे लण्हे घडे मटे नीलइए निम्मले निपके निकंकडच्छाए सप्पभे समरिईए सउ-15
क्रिया चूर्णी
ज्जोवे जाव पढिरूवे । तत्थ णं दसण्णपुरे नगरे दसण्णभद्दे नामं राया होत्था, महताहिमवंतमहन्तमलयमंदरमहिंदसारे अच्चतवि- दशार्णभद्रः उपोद्घातारा
पातसुद्धरायकुलवंससमध्पसूते निरंतरं रायलक्खणबिराइतंगमंगे बहुजणबहुमाणपूजिते सव्वगुणसमिद्धे खत्तिए मुदिते मुद्धामिसित्ते माउ-12 नियुक्ती पितुसुजाते दयामते सीमंकरे सीमंधरे मणुस्सिदे जणवदपिता जणवदपुरोहिते सेउकरे केउकरे णरवरे पुरिसवरे पुरिससीहे पुरिसवग्घे पुरि
सासीविसे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहस्थी अड्डे दित्ते विचे विच्छिण्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहुधणबहुजातरूवरयते । ॥४७९॥ आयोगपयोगसंपउत्ते विच्छडितपउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेलयप्पभूते पडिपुण्णजंतकोसकोट्ठागारायुधधरे बलवदुबल-13
पञ्चामित्ते ओहयकंटय निहतकंटयं मलियकंटयं उद्भियकंटयं अप्पडिकंटयं अकंटय ओहयसत्तुं उद्धितसत्तुं निज्जितसत्तुं पराजितसत्तुं ववगतदुभिक्खचोरमारिभयविप्पमुक्कं खमं सिर्व सुभिक्ख पसंतडिंबडबरं फीतं पुरो जाणवदं रज्जं पसासेमाण विहरति। तस्स . दसण्णभद्दस्स रण्णा मंगलावती नामं देवी होत्था सुकुमालपाणिपादा अधीणपडिपृण्णपंचेंदियसरीरा लक्षणवंजणगुणोचवेता | माणुम्माणप्पमाणपडितुज्झा(पुण्णा)मुजातसव्वंगसुंदरंगी ससिसोम्माकारकंतपियदसणा सुरूवा करतलपरिमितपसत्थतिवलीयवलि-14 तमज्झा कुंडलुल्लिहियपीणगडलहा कोमुदिरयणिगरविमलपडिपुण्णसोम्मवदणा सिंगाराकारचारुबेसा संगतगतहसितमणिताचट्ठित-14 बिलाससललितसंल्लावणिपुणजुत्तोबयारकुसला सुंदरथणजहणवदणकरचरणणयणलायण्णरूयजोव्वणविलासकलिता दसण्णभद्देण रण्णा सद्धि अणुरत्ता अविरत्ता इहे सहप्फरिसरसरूवगंध पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणा विहरति । तस्स दसष्ण
दीप
अनुक्रम
SC
R
॥४७॥
(485)
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