Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 571
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं H, मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति : [९४९-९५१/९४९-९५१], भाष्यं [१५१...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 दीप अनुक्रम नमस्कार भग्गा, तिदंडी भणति--मा वारेहि णव पुरिसजुगाणि तुझं बसो होहितित्ति, अतिगता, दो भागा कता । एगा कन्नगा विसभाषिया, परिणामिव्याख्यायां तत्थ पब्वतगस्स इच्छा, सा तस्स दिण्णा, अग्गिपरियंचणे विसपरिगतो मरितुमारद्धो, भणति-वयंसग ! मरिज्जति, चंदगुत्तो 6-12 विभामित्ति ववसितो, चाणकेण भिगुडी कता, णियत्तो, दो रज्जाणि तस्स जाताणि । णंदमणूसा य चोरिगाए जीवंति, सो चोरग्गाहर ॥५६५॥ मग्गति, तिदंडी बाहिरियाए णलदाम मुइंगमारगंदटुं आगतो, रण्णा सहावितो, दिण्णं आरक्ख, चीसत्था कता, भत्तदाणे सकुटुंबा |मारिया । आणाए-वंसिहि अम्बमा परिक्खित्ता, विपरीते कते रहो, पलीवितो सब्बगामो, तेहि य गामेल्लतेहिं तस्स कप्पडियत्तणे | भत्तं ण दिण्णति कार्ड। कोसनिमित्तं परिणामिता बुद्धी, जूतं रमति कूडपासएहि, सोवणं थाले दीणारभरितं, जो जिणति तस्स, अहं जिणामि एको| | दायब्बा, अतिचिरंति अण्ण उवायं चिंतेति, नागराणं भत्त्रं देति, मज्जपाणं च दिणं, मत्तेसु पणचितो भगति गायतो-दो मज्झ है धातुरत्ताओ कंचणकुंडिया तिदंडं च, राया मे वसवत्ती, एत्थवि ता मे होलं वाएहि ॥१।। अण्णो असहमाणो भणति-गयपोयगस्स PI(महस्स मन्थरगइए उ) जोयणसहस्सं । पदे पदे सतसहस्सा एत्थपिता मे होल पाएहि ॥१॥ अण्णो असहमाणो भणति-तिलआढगस्स | टू बुत्तस्स णिफण्णस्स बहुसइतस्स | तिले तिले सतसहस्सं एत्थवि ता मे होले बाएहि ॥१॥ अण्णो भण्णति-णवपाउसंमि पुण्णाए। है| गिरिनइयाए य सिग्धवेगाए । एगाहमाहितमेचेणं णवणीतेण पालिं बंधामि ॥१॥ जच्चाण बरकिसोराणं तदिवसं तु जायमेवाणं ।। का केसेहि णभं छाएमि एत्थवि ता मे होल बाएहि ॥१॥ दो मज्झ अस्थि रतणाणि सालिपमई य गद्दभिया य । छिण्णा छिण्णावि दारूहंति एत्थवि ता मे होलं वाएहि ॥१॥ सेतसुकिलो णिच्चसुगंधो, मज्ज अणुब्बय पत्थि पवासो। णिरिणो य दुपंचसतो य, (571)

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