Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 517
________________ आगम (४०) "आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं H, मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति: [८८७/८८०-९०८], भाष्यं [१५१...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 प्रत दीप अनुक्रम नमस्कार । सिलामुरुक्षेस य अक्खरानि लिहति, पंथस्स दोसगुणे, एत्तियं गतं एत्तियं सेसीत विभासा, एवं जे तस्स णिदेसे बट्टिता ते तेण महानिर्याव्याख्यायामा समं अचिरण तं पुरं गता, जेवि लिहिताणुसारेण सम्म गच्छंति तेवि पाति, जे ण वट्टिया ण वा वहति छायादिपडिसेविणो तेण मकत्वं ५१शा पत्ता ण वा पावेति । गतो य एस दचमग्गोवदेसगी, एस दिट्ठतो, एवं भावमग्गोवदेसगा, सत्थवाहत्थाणीया अरहता उग्घोसण स्थाणीया धम्मकहा पिडियत्थाणिया जीवा अडवित्थाणिओ संसारो उज्जुग्गो साधुमग्गो को सावगमग्गो पप्पपुरत्थाणीओ मोक्खो मणोहररुक्खच्छायात्थाणीओ थीगाइसंसात्वसहीओ पडिसडियादिथाणीयाओ अणवज्जवसहीओ अण्णरुक्खच्छायाथाणीयाओ|वि अंगणाओ विषण्णभरसविरसफलथाणीया फासुएसणिज्जा आहारा कुहियथाणीयाणि फागुएसणिज्जाणि पाणियाणि णिन्नुष्णयादिभूमियाथाणीयाओ बसहिभूमीओ सत्थियस्थाणीया साधु वहियग्वथाणीय दिवसं सव्वं पढितबं भिक्खाणीहारपटिलेहबज्जंततिए जामे णिदामोक्खो सीतोसिणादिसणधाणीयो पव्यज्जाकिलेसो मग्गतडत्थहक्कारणपुरिसत्याणीया पासत्थकुतित्थियादी अकल्लाणमिचा दवग्गादित्थाणीया कोहादयो कसाया फलथाणीया विसया पिसायथाणीया बाबीसं परिसहा भत्तपाणिएसणिज्जा अपयाणगत्थाणीओ णिच्चुज्जमो पताणं मोक्खसुइति । तत्थ य तं पुरं गंतुकामो जणो उवदेसदाणादिणा परमोवगारी सत्यवाहेत्ति परमविणएणं तस्स पिसे वकृति बहु मण्णति य, एवमादिविभासा। एवं मोक्षस्थीहिं भगवं विभासा । एस्थ गाथाओ संसाराडवीए० ।। ९-२३ ॥ ९०९॥ सम्मईसण ।। ९-२४॥ ९१०॥ सम्मचण दिठ्ठो णाणण णाओ, अस्वरत्थाणी-18॥५१॥ याणि चोदस पुन्याणि, चरणकरणं पहतो महापहो जातो सो व्बाणपथो । चरणकरणाणि पुण- वयसमणधम्मसंजमवेयावच्च च बंभगुत्तीओ । णाणादितियं तयकोहणिग्गहादी चरणमेतं ॥१॥ पिंडविसोधी समिती भावण पडिमा य ईदियगिरोहो । पडिले (517)

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