Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 516
________________ आगम (४०) "आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं H, मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति: [८८७/८८०-९०८], भाष्यं [१५१...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 प्रत HEIG नमस्कार फलाणि य विवण्णाणि आवातविरसाणि विवायसुहावयाणि पाणियाणि य महिता कुहिता विणट्ठा गिद्धखारकड्डयअंबराणि, भूमी-18 अढव्या Fओ य णिण्णुण्णतविसमाओ तासु सुवितव्वं, सत्थिया खणंपि ण मोत्तव्वा, कालतो दिवस गम्मति, रत्तीएवि ततिए यामे णिद्दा देशकत्वं ॥५१०॥ मोक्खं कासूण पुणोवि बहितव्वं, जतो छिण्णावाता दूरवाणा बहुपच्चवाया य अडवी, भावतो सीयाणि य उसिणाणि य छुहा मारा 81 सावयभयाणि य अबरोप्परो य संणिरोहो सहितव्यो, जो सो वंको तेणवि वच्चंताणं केति रुक्खा परिहरितव्या अण्णाणि य जाणि पब्वाणि चिरण पाविज्जति, अवसाणे सो चेव ओतरितब्बो, मणोहररूवधारिणो मधुरवयणा य एत्थ मग्गतडहिता बहवे. पुरिसा हक्कारेंति तेसिंण सोतन्च, दुरंतो य पावो दवग्गी अप्पमतेहि उल्हबेयचो, अणोल्हविज्जतो य णियमेण डहति, पुणो य | 2 द्र दुग्गुच्चपघओ उवउत्तेहि चेव लंघेतव्यो, अलंघणे णियमा मरिज्जति, पुणो महतिअतिगुबिलगम्बरा वंसकुडंगी सिग्छ लंघेतव्वा, तीम ठिताणं बहुदोसा, ततो य बहुगो खड्डा, तस्समी मणोरहो णाम बंभणो णिच्चं सण्णिहितो अच्छति, सो भणति-मणागं | पूरेह एतन्ति, तस्स ण सोतव्यं, सो ण पूरेतब्बो, सो हु पूरिज्जमाणो महल्लतरो भवति, पंधातो य भज्जिज्जति, फलाणि य एत्थ दिव्याणि पंचपगाराणि णेत्तादिमुहकारगाणि भणागंपि नो पेक्खितब्वाणि ण भोत्तवाणि, बावीसं च एत्थ घोरा महाकराला पिसाया खणं खणमभिवति तेचि णं ण गणेतव्या, भत्तपाणं च णत्थि, विभागतो विरसं दुल्लभंति, अपदाणगं च ण कातव्वं, अणवरतं च गंतव्न, (रचीएचि दोण्णि जामा सुवियब, सेसदुगं च गंतब्वमेष) एवं च गच्छंतेहिं देवाणुप्पिया! खिप्पामेव अडवी ५१०॥ हालंपिज्जति, लंपित्ता य तमेगतदोगच्चवज्जितं तं पसत्थं सिवपुर पाविज्जति, तत्थ य पुणो ण होति कोति किलसत्ति, ततो तत्थ | केइ तेणं समं पयट्टा जे उज्जुग पधाविता, अण्णे पुण इतरेण, ततो सो पसस्थि दिवसे उच्चलितो, पुरतो वच्चंतो मम्गं आहणत्रि, दीप अनुक्रम (516)

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