Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

Previous | Next

Page 548
________________ आगम (४०) प्रत सूत्रांक [-] दीप अनुक्रम [8] अध्ययनं [-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता “आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (निर्युक्तिः+चूर्णि:) मूलं [१] / [गाथा-], निर्युक्तिः [९२४/९२४-९३९], भाष्यं [१५१...] आगमसूत्र [४०], मूलसूत्र [०१] "आवश्यक" निर्युक्तिः एवं जिनभद्रगणि- रचिता चूर्णि:- 1 "को। तरो जातो, तेण तत्थ सच्चे साहुणो परद्वा तं सुणेता अज्जखउडा] तहिं गता, तेण जातितुं तस्स कने उवाहणाओ ओलतियाओ, देवकुलिओ आगतो पेच्छति, गता लोगे घेण आगतो, ते जतो जतो उम्पार्डेति तओ २ अधिट्टाणं, णगरे कहितं, तेहिवि तहेव दिई, कलडीह पहता, ते य रायकुले संकर्मेति, मुका, पविडो वट्टकरओ, अण्णाणि य वाणमंतराणि पच्छतो सपडिमाणि गच्छति, लोगो पायवडितो विष्णवेति-माहिति सोय अण्णतो विष्परिणामेति सो चिंतात आयरिओ ण सकति मोयावेतुति, तस्स देवकुले महाविस्संदा दो दोणीओ महतिमहालियाओ पाहाणमतीओ, "सो य वाणमंतराणि खडखडावेंताणि, पच्छओ सपडिमाणि हिति, जणेण विष्णवितो, ताणि मुंकाणि, दोणीवि आरतो आणत्ता छडिया, मम सरसो हितचि आहारगिवी मरुअच्छे तच्चणिओ जातो, अयःपात्राणि आगासेणं उदासगाणं घरे भरियाणि ऐति, लोगो तंमुह बहुगो जातो, संघेणं अज्जखडाणं पेसितं, आगतो, अक्खायं एरिसी अकिरियति उट्ठिता, तेसिं कप्पराणं अग्गतो मत्तओ सेतेण वत्थेणं अच्छाइओ जाति, टोप्परिया गता सव्वपधाणिया, आसणे ठिया, अण्णत्थ कया कयाइ पुणो पुणो पंति मरिया जगता, आयरिएहिं अंतरा पाहाणो ठवितो सच्चाणि भिण्णाणि, सोचि चेल्लओ भीतो णट्टो, आयरिया तत्थ गता, तच्चणिया भणति एहि बुद्धस्स पादेहि पडाहित्ति, आयरिएहिं भणितं - एहि पुता ! सुद्धोदणसुता बंद मर्म, बुद्धो णिग्गतो, पादेसु पडितो, तत्थ धूभो बारे, सोवि भणतितो- एहि पाएहिं पडाहिति, सोषि पडितो, उट्ठेहिति भणितो अडोओ ठितो, एवं अच्छहति भणितो ठितो, पासहिगो ठितो, सो नियंठणामितो णामेण संजातो ।। मंतसिद्धो एगंमि नगरे रायाणएण तो नमस्कार ४ विज्जातित्थयरो, सो त भाइणेज्जं ठबेचा पडिव्वायओ वादे पराजितो, (सा परि०) अद्धीइए कालगतो, गुडसत्थे नगरे बडकरओ वाणमंव्याख्यायां ॥५४२॥ (548) विद्यासिद्धः ॥५४२॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624