Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 482
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसू अध्ययनं , मूलं - /गाथा-], नियुक्ति : [८४१-८४७/८४१-८४७], भाष्यं [१५०...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 पत सत्राका दीप चेतियजुवतीसंनिविद्वबगुलं उकोडितपावर्गठिभेदयभडतकरखंडरक्खरहितं खम निरुवदुतं सुभिक्खं वसित्थसुहावासं अणेगकोडी-16 ऋया आवश्यकता कुटुंबियाइण्णं निबुतसुह पदणषणसण्णिभप्पकासं उम्बिद्धविरलगंभारखाइयफलिहं चक्कगयामुसलमुसुढिओरोहसतग्घिजमलक वाडघणदुप्पवेसं धणुकुडिलवंकपागारपरिक्खिनं कविसीसयवट्टरइतसंठितचिरायमाणअट्टालयचरियदारगोपुरतोरणउण्णतसुविमचराकायमगं छेयायरियरयितदढफलिहइंदकीलं विवणिवणिछेयसिप्पियाइण्णनिव्वुतमुहं सिंघाडयतियचउकचच्चरपणियावणविविहवे-४ सपरिमंडियं सुरम्म नरबतिपविइण्णमहापहं अणेकनरतुरयमत्तकुंजररहपहकरसीयसंदमाणियाइण्याजाणजुग्गं विमउलनवनलोण॥४७६|| सोभितजलं पंडरवरभवणसंणिवहितं उत्ताणयनयणवेच्छणिज्जं पासादीयं दरिसणज्ज अभिरूचे पडिरूवै ॥ तस्स णं दसण्ण पुरस्स नगरस्स पहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीमागे दसण्णकूडे नाम पब्बते होत्था, तुग गगणतलमणुलिहंतसिहरे नाणाविहरुक्ख गुच्छगुम्मलतावल्लियपरिगते हसभिगमयूरकोंचसारसचक्कागमयणसालकोइलकुलोवगीते अणेकतडकडगविसमउज्झरपवातपब्भार-IN है सिहरपउर अच्छरगणदेवसंघविज्जाहरामेहुणसंविभिण्णे निच्चुण्णए दसण्णवरवीरपुरिसतेलोकवलवगस्सासमे सुभगे पियदंसणे सुरुवे पासादीये ।। तस्स ण पब्वतस्स अदूरसामंते गंदणवणे णाम वणसंडे होत्था, से णं किण्हे किण्होभासे एवं नीले हरिते सीते निद्ध जाब तिब्वे तिव्वोभासे किण्हे किण्हच्छाते घणकडितकंकडच्छाए रम्मे महामेहणिउरुंचभृते सव्वोउयपुष्फफलसमिद्धे रम्मे अंदणप्पगासे पासादीए । तत्थ णं पादवा मूलयंतो एवं कंद. खंद० तया० सालप्पवालपत्तपुप्फफलबीयवतो-मूले कंदे खंधे तया य साले तथा पवाले य । पत्चे पुप्फे य फले बीये दसमे तु नातब्बे ॥ १॥ अणुपुब्बसुजातरुइलबट्टभावपरिणता एकखंधी ॥४७६॥ अणेगसाला अणेगसाहप्पसाहविडिमा अणेगनरवाममुप्पसारितभुजागेज्झघणविउलबट्टखंधी पादीणपडिणायतसाला उदीणदाहिण-121 अनुक्रम (482)

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