Book Title: Aagam 08 ANTKRUT DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 6
________________ आगम “अन्तकृद्दशा” - अंगसूत्र-८ (मूलं+वृत्ति:) (०८) वर्ग: [१], ......................----- अध्य यन [१-१०] ----------------------- मूलं [१] + गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०८], अंग सूत्र - [०८] “अन्तकृद्दशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्राक गाथा: अन्तकृद्द कह- यमढे पन्नत्ते अट्ठमस्स णं भंते ! अंगस्स अंतगडदसाणं समणेणं० के अहे पण्णते?, एवं खलु जंबू! समणेणं १ वर्ग शाळे जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अह वग्गा पन्नत्ता, जति णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं १ध्ययन अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अह वग्गा पन्नत्ता पढ़मस्सणं भंते! वग्गस्स अंतगडदसाणं समणेणं जावसू०१ ॥१ ॥ संपत्तेणं कह अज्झयणा पन्नत्ता, एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं 31 पढमस्स वग्गस्स दस अज्मयणा पन्नत्ता, तं०-गोयम समुद्द सागर गंभीरे चेव होइ थिमिते य । अयले कंपिल्ले खलु अक्खोभ पसेणती विण्हू ॥१॥ जति णं भंते! समणेणं जाव संप० अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स अंतगडदसाणं समगणं जाव संपत्तेणं के अटे पन्नत्ते?, एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं २ यारवतीणाम नगरी होत्था, दुवालस जोयणायामा नवजोअणविधिण्णा धैणवइमतिनिम्माया चामीकरपागारा नाणामणिपंचवन्नकविसीसगर्म४ डिया सुरम्मा अलकापुरिसंकासा पैमुदितपक्कीलिया पञ्चक्खं देवलोगभूया पासादीया ४, तीसे गं बारवतीनयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीमागे एत्थ णं रेवतते नाम पन्वते होच्था, तत्थ णं रेवतते पन्वते नंदण १ गोयमे'त्यादिगाथाऽध्ययनसङ्ग्रहार्था, २ घणवइमइनिम्माया' इति वैश्रमणबुद्धिविरचिता ३ 'अलयापुरिसंकासत्ति अलकापुरी-वैश्रमणयक्षपुरी तत्सदृशी ४ 'पमुइयपक्कीलियत्ति तन्निवासिजनानां प्रमुदितत्वप्रक्रीडितत्वाभ्यामिति । + + दीप अनुक्रम [१-५] SAREaratha बारावतीनगर्या: संक्षिप्त-वर्णनं ~5~

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