Book Title: Aagam 08 ANTKRUT DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 34
________________ आगम (०८) “अन्तकृद्दशा” - अंगसूत्र-८ (मूलं+वृत्ति:) वर्ग: [५], ............-- अध्ययनं [१] --. ..- मूलं [९] + गाथा मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [०८], अंग सूत्र - [०८] “अन्तकृद्दशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत अन्तकृदशाओं सूत्रांक १५॥ हस्स वासुदेवस्स अरहतो अरिह अंतिए एवं सोचा निसम्म एवं अन्भत्थिए ४-धन्ना णं ते जालिमयालि-13/५ वर्ग पुरिससेणवारिसेणपज्जुन्नसंवअनिरुडढनेमिसचनेमिप्पभियतो कुमारा जे णं चइत्ता हिरनं जाष परिभा-1 सर्वेषां प्रएता अरहतो अरिष्टनेमिस्स अंतियं मुंडा जाव पव्वतिया, अहण्णं अधन्ने अकयपुन्ने रजे य जाच अंतेउरे या व्रज्यानुज्ञा माणुस्सपसु य कामभोगेसु मुच्छिते ४ नो संचाएमि अरहतो अरिट्ट जाव पन्वतित्तए, कण्हाइ! अरहा अ- ध्ययनं रिट्ठनेमी कण्हं वासुदेवं एवं व०-से नूर्ण कण्हा! तव अयमन्भस्थिए ४-धन्ना णं ते जाव पव्वतिसते, सेन सू०९ नूणं कण्हा! अहे समढे?, हंता अस्थि, तं नो खलु कण्हा! तं एवं भूतं वा भव्वं पा भचिस्सति वा जन्नं वासुदेवा चइत्ता हिरनं जाव पब्वइस्संति, से केणद्वेणं भंते ! एवं बुचह-न एयं भूयं वा जाव पब्बतिस्संति?, कण्हाति! अरहा अरिहनेमी कण्हं वासुदेवं एवं 4०-एवं खलु कण्हा! सब्वेवि य णं वासुदेवा पुव्यभवे निदाणकडा, से एतेणटेणं कण्हा! एवं बुञ्चति-न एवं भूयं० पब्वइस्संति, तते णं से कण्हे चामु० अरहं अरिट्ठ एवं व०-अहं णं भंते। इतो कालमासे कालं किचा कहिं गमिस्सामि? कहिं उववज्जिस्सामि?, तते णं अरिहा अरिट्ट कण्हं वासु एवं व०-एवं खल्लु कण्हा! बारवतीए नयरीए सुरदीवायणकोवनिड्डाए अम्मापिइनियगविप्पटणे रामेण बलदेवेण सद्धिं दाहिणवेयालिं अभिमुहे जोहिडिल्लपामोक्खाणं पंचण्हं 4-1॥१५॥ गाथा दीप अनुक्रम [१८-२०] १ 'परिभाइत्ता' इह 'दाणं च दाइयाण'ति संस्मरणीयं । पद्मावती-आदिनाम् प्रव्रज्या-कथा ~33~

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