Book Title: Aagam 08 ANTKRUT DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 33
________________ आगम “अन्तकृद्दशा” - अंगसूत्र-८ (मूलं+वृत्ति:) (०८) वर्ग: [५], ............-- अध्ययनं [१] --. ..- मूलं [९] + गाथा मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०८], अंग सूत्र - [०८] “अन्तकृद्दशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक SANTOS गाथा समजाव सं० चउत्थस्स वग्गस्स अयमढे पन्नत्ते पंचमस्स चग्गस्स अंतकडदसाणं समणेणं जाव सं०के अहे पं०१, एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झ०५०,-पउमावती १ य गोरी २ ४ गंधारी ३ लक्खणा४ सुसीमा५ या जंबवह ६ सचभामा ७ रूप्पिणि८ मूलसिरि९ मूलदत्तावि१०॥१॥ जति णं भंते! पंचमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पं०, पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स के अहे पं०?, एवं जंबू! तेणं । कालेणं २ बारवती नगरी जहा पढमे जाव कण्हे वासुदेवे आहे. जाव विहरति, तस्स णं कण्हस्स चामु०। पउमावती नाम देवी होत्था बन्नओ, तेणं कालेणं २ अरहा अरिट्टनेमी समोसढे जाव विहरति, कण्हे वासुदेवे णिग्गते जाव पलवासति, तते णं सा पउमावती देवी इमीसे कहाए लट्ठा हह जहा देवती जाव पज्जुवासति, तए णं अरिहा अरिट्ट कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावबीए य धम्मकहा परिसा पडिगता, तते गं कण्हे. अरहं अरिष्टनेमि वंदति णमंसति २ एवं व०-इमीसे णं भंते। बारवतीए नगरीए नवजोयण जाव देवलोगभूताए किंमूलाते विणासे भविस्सति ?, कण्हाति। अरहं अरिह. कण्हं वासु० एवं व०-एवं खलु कण्हा! इमीसे बारवतीए नयरीए नवजोयण जाव भूयाए मुरग्गिदीवायणमूलाए विणासे भविस्सति, क १ चतुर्थे वर्गे दशाध्ययनानि, पञ्चमेऽपि तथैव, तत्र प्रथमे 'सुरग्गिदीवायणमूलापत्ति सुरा च-मयं कुमाराणामुन्मत्तताकारणं अग्निश्च-अग्निकुमारदेवसन्धुक्षितो द्वीपायनश्व-सुरापानमत्तयुष्मत्कुमारखलीकृतः कृतनिदानो बालतपस्वी सम्प्राप्ताग्निकुमारदेवत्वः एते मूलकारणं यस्य विनाशस्य स तथा, अथवा सुरश्चासावग्निकुमारश्चाग्निदाता द्वीपायनश्चेति सुराग्निद्वैपायनः शेषं तथैव । - - - OOSSASSADOR दीप अनुक्रम [१८-२०] - -SEX REaratimund पद्मावती-आदिनाम् प्रव्रज्या-कथा ~ 32 ~

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