Book Title: Aagam 08 ANTKRUT DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 61
________________ आगम (०८) प्रत सूत्रांक [२१] दीप अनुक्रम [५४] अनु. ७ “अन्तकृद्दशा” - अंगसूत्र- ८ ( मूलं + वृत्तिः) वर्ग: [८], मूलं [२१] अध्ययनं [५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र - [०८ ], अंग सूत्र - [०८] "अन्तकृद्दशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः Eatin भोषणस्स तिन्नि पाणयस्स च० पं० छ० सत्तमे सत्तते सत दत्तीतो भोयणस्स पडिग्गाहेति सत पाणयस्स. एवं खलु एवं सतसत्तमियं भिक्खुपडिमं एगूणपन्नाते रातिंदिपहिं एगेण य छन्नउएणं भिक्वासतेणं अहासुत्ता जाब आराहेता जेणेव अज्ज चंदणा अज्जा तेणेव उवागया अजचंदणं अजं वं० न० २ एवं व० इच्छामि णं अजातो! तुम्भेहिं अन्भणुण्णाता समाणी अहमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरेत्तते, अहासुहं, तते णं सा सुकण्हा अज्जा अजचंदणाए अग्भणुष्णाया समाणी अहमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरति, पढमे अट्ठए एक्केकं भोषणस्स दत्तिं पडि० एक्केकं पाणगस्स जाव अट्ठमे अट्ठए अट्टट्ठ भोयणस्स पडिगाहेति अट्ट पाणगस्स, एवं खलु एयं अट्ठमियं भिक्खुपडिमं चउसट्टीए रातिदिएहिं दोहि य अट्ठासीतेहिं भिक्खासतेहिं अहा जाव नवनवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपत्जिसा णं विहरति, पढमे नवए एक्केकं भोयणस्स दत्तिं पडि० एकेकं पाणयस्स जाव नवमे नवए नव नव द० भो० पडि० नव २ पाणयस्स, एवं खलु नवनवमियं भिक्खुपडिमं एकासीतीराइदिएहिं चउहिं पंचोत्तरेहिं भिक्खासतेहिं अहासुत्ता०, दसदसमियं भिक्खुपडिमं उबर्सपज्जित्ताणं विहरति, पढमे दसते एकेक भोप० पडि० एकेकं पाण० जाव दसमे दसए दस २ भो० दत्ती पडिग्गाहे० दस २ पाणस्स० एवं खलु एवं दसदसमियं भिक्खुपडिमं एक्केणं राइंदिय सतेणं अद्धछद्वेहिं भिक्खासतेहिं अहासुतं जाव आराहेति २ बहूहिं चउत्थ जात्र मासद्मासविविहत वोकमेहिं अप्पाणं भावेमाणी विहरति, तए णं सा सुकण्हा अजा तेणं ओरालेणं जाव सिद्धा निक्खेवो अज्जन सुकृष्णाराणी तस्या सप्तसप्ततिका तपः वर्णनं For Parts Only ~60~

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