Book Title: Adarsha Hindi Sanskrit kosha
Author(s): Ramsarup
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 747
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ७०६ ] एक बार मरना फिर मरने से क्या डरना? क्षणविध्वंसिनः कायाः का चिन्ता मरणे रणे। एक बोटी सौ कुत्ते। दे. 'एक अनार सौ बीमार' । एक मछली सारे जल को गंदा करती है। एकेनैव कुपुत्रेण मलिनं जायते कुलम् । एक म्यान में दो तलवारें नहीं समा सकतीं। १. नैकस्मिन्नेव कान्तारे सिंहयोर्वसतिः क्वचित् । २. बलवतो कत्र शासनम् । एक हमाम में सब नंगे। सर्वे सहवासिनः समाः। एक हाथ से ताली नहीं बजती। १. नटेकेन हस्तेन तालिका संप्रपद्यते। (पंचतंत्र) २. नैकाकी कलहे क्षमः। एक ही लकड़ी से सबको हाँकना । योग्यायोग्योविवेकाभावः । एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय । एकलक्ष्ये सर्वसिद्धिलक्ष्याधिक्येन काचन । ऐब करने को भी हुनर चाहिए । | पापं कौशलापेक्षि। ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस देय । वृत्तिहीनाय वृद्धाय को जनो भोजनं दद्यात् । ओछे की प्रीत बालू की भीत । अस्थिरं क्षुद्रसौहृदम् । ओछे के मुँह लगना अपनी इज्ज़त खोना । क्षुद्रसंगतिर्माननाशिनी। ओस चाटे प्यास नहीं बुझती। १. न तारालोकेन तमिस्रनाशः। ' २. प्रालेयलेहान्न तृषाविनाशः। और बात खोटी सही दाल रोटी। अन्नपानं परित्यज्य सर्वमन्यन्निरर्थकम् । कड़वी दवाई का फल मीठा । यत्तदने विषमिव परिणामेऽमृतोपमम् । कड़वे बोल न बोल। मर्मवाक्यमपि नोचरणीयम् । कन्या पराया धन होती है। अर्थो हि कन्या परकीय एव । ( अभिशान०) करमगति टारे नाहि टरे । १. भवितव्यं भवत्येव कर्मणामीदृशी गतिः । २. भवितव्यानां द्वाराणि भवन्ति सर्वत्र । (अभिज्ञान०) करम प्रधान बिस्व रचि राखा, स्वकर्मसूत्रप्रथितो हि लोकः । जो जस करहिं सो तस फल चाखा। दे. 'जैसी करनी वैसी भरनी'। करमों की गति न्यारी। | १. चित्रा गतिः कर्मणाम् । २. गहना कर्मणो गतिः। कल की छोड़ो आज की बात करो। | वर्तमानने कालेन वर्तयन्ति विचक्षणाः। कह रहीम परकाज हित संपति सँचर्हि | १. आदानं हि विसर्गाय सतां वारिमुचामिव। (रघु.) सुजान। २. आपन्नात्तिप्रशमनफलाः संपदो झुत्तमानाम् । ३. परोपकाराय सतां विभूतयः। का करै अद्वितीय जन यद्यपि होय समर्थ । असहायः समर्थोऽपि तेजस्वी किं करिष्यति । _ (पंचतंत्रम् ) सबलोऽप्येकलोऽबलः। काल सबको खा जाता है। सर्वः कालवशेन नश्यति । काला अक्षर भैंस बराबर । निरक्षरभट्टाचार्यः। काठ की बिल्ली तो बन गई परन्तु म्याऊँ | सुलभा रम्यता लोके दुर्लभं हि गुणार्जनम् । कौन करेगा? कुत्ता कुत्ते का बैरी। १. भिक्षुको भिक्षुकं दृष्ट्वा श्वानवद् गुर्मुरायते । २. याचको याचकं दृष्ट्वा श्वानवद् गुर्मुरायते । कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो तरुणीकच इवं नीचः कौटिल्यं नैव विजहाति । भी टेढ़ी की टेढ़ी। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831