Book Title: Adarsha Hindi Sanskrit kosha
Author(s): Ramsarup
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 816
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ७८ ] तुंगभद्रा - मैसूर के दक्षिण-पश्चिमी सीमान्त पर कृष्णा की सहायक नदी । सुण्डीरमण्डल - द्रविड़ देश का एक भाग, 'तोण्डमण्डल' ( कोरोमण्डल ? ) जिसकी राजधानी काञ्चीपुर थी । (मल्लिकामारुत ) तुरुष्क—पूर्वी तुर्किस्तान | (गरुड़० ) तुषार - यूनानी लेखकों का 'वेक्ट्रिया' तथा अरबी लेखकों का 'तुखारिस्तान', जिसमें बलख तथा बदख्शां शामिल थे । तृष्णा - तिस्तानदी । शाल्मलि द्वीप ( क ल्दिआ ) में 'टाइग्रिस नदी' । त्रिक कुट्, त्रिविष्टप- ( तिब्बत ) । २. त्रिकूट ( सिंहल में भी ? ) । ३. जुनर । त्रि (क) लिंग - तेलंगाना । त्रिगते - जालन्धर - 'रावी - व्यास - सतलज' का 'ति- आब' | त्रिपदी (ति) - तिरुपति, वेङ्कटगिरिं । रामानुज ने यहाँ विश्वनाथ की मूर्ति स्थापित की थी, 'रसगंगाधर' के रचयिता पण्डितराज जगन्नाथ की जन्मभूमि । त्रिपुरा - किरात देश, तिपारा- जो कामरूप के अन्तर्गत था । त्रिपुरी - जबलपुर से सात मील पश्चिम में, नर्मदा तट पर, 'तिओर' जहाँ महादेव ने त्रिपुरासुर वध किया था (लिङ्ग ० ) । २. कळन्चुरियों की राजधानी - चेदिनगर । ३. शोणितपुर । त्रिवेणी - (प्रयाग में ) गंगा-यमुना- सरस्वती का, तथा पूर्व की ओर गण्डकी देविका - ब्रह्मपु६. का 'संगम-तीर्थ' । ( बंगाल में 'मुक्त' त्रिवेणी, इलाहाबाद में 'युक्त' - त्रिवेणी ) ! त्रिशिरपल्ली - 'त्रिचनापल्ली', जहाँ रावण का सेनापति रहा करता था । त्र्यम्बक-नासिक से २० मील पर, प्रसिद्ध गोदावरी तीर्थ । दक्षिण- गंगा - गोदावरी अथवा कावेरी अथवा नर्मदा अथवा तुङ्गभद्रा । दक्षिणगिरि - दशार्ण ( कालिदास ), जिसकी राजधानी 'चेतिय' थी, भूपाल राज्य । दक्षिण-मथुरा - मदुरा अथवा मीनाक्षी, पाण्ड्यों की प्राचीन राजधानी । दक्षिणापथ - दाक्षिणात्य जनपद, अर्थात् 'विन्ध्य के दक्षिण का भारत' । दण्डकारण्य - विन्ध्य तथा शिवालय के मध्य का 'महाकान्तार' अथवा 'महाराष्ट्र', जो जनस्थान के पश्चिम में था । ( भवभूति ) दर्दुरे - ( मद्रास में ) नीलगिरि पर्वतमाला । दर्भवती -- ( गुजरात में ) दभोई। दशपुर - ( मालवा में ) मन्दसोर ( मन्ददशपुर ) अर्थात् दासोर । दशार्ण - 'पूर्वी मालव' देश | ( दक्षिणगिरि ) जिसकी राजधानी ( अशोक के समय में ) 'चैत्य गिरि' थी । दाशेरक - मालवा | ( त्रिकाण्ड० ) दुर्जयलिंग - दार्जिलिंग | दुर्वासाश्रम - भागलपुर से १५ मील की दूरी पर; 'कलहग्राम' के निकट, 'खड़ी पहाड़' पर दुर्वासा ऋषि का आश्रम । हृषद्वती - - अम्बाला और सरहिन्द के मध्य की नदी, घग्गर । देवगिरि - निजाम राज्य में, दौलताबाद । ३. महाराष्ट्र ( देवराष्ट्र ? ) में | शिवालय । ३० अर- वक्री की एक शाखा । ( मेघदूत ) देवपत्तन - प्रभास = सारनाथ । देवपुर (-- मध्यभारत में, महानदी तथा पैड़ी के संगम पर, राजिम । देवराष्ट्र, महाराष्ट्र ( ? ) - समुद्रगुप्त की दक्षिण - विजय के समय इसका राजा कुबेर था । For Private And Personal Use Only

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