Book Title: Adarsha Hindi Sanskrit kosha
Author(s): Ramsarup
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 819
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra [ ७८ ] युधिष्ठिर सन्तुष्ट था, किन्तु दुर्योधन न माना। इन 'पाँच ग्रामों' के नाम महाभारत में तथा वेणीसंहार में कुछ भिन्न हैं । www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाण्डू (पाण्ड्य ) - दक्षिण के आधु० तिन्नेवेल्ली तथा मदुरा डिवीजन - जो समय-समय पर अपनी राजधानी - उरैपुर > मदुरा > कोल्कई- बदलते रहे । यहाँ के राजा पुरु ने २६ ई० पू० में अपने दूत रोम भेजे थे । पाताल - ( रामायण में ) अश्मन्वती ( आमू) के उत्तर में और बलख के द० पू० अश्मक = 'औक्सियाना' देश | पापनाशिनी - पयस्विनी । पारस द्र - सिंहरू । ( अर्थशास्त्र ) पारसीक, पारस्य — फारस । ( रघु०, विष्णु० ) पारस्कर - सिन्ध में 'थल पारकर' । ( पाणिनि ) पारिया (पा) त्र - विन्ध्य की पश्चिमी शाखा, जो कभी आर्यावर्त्त की दक्षिणी सीमा थी । ( महाभाष्य ) पावनी - ( कुरुक्षेत्र में घर्वरा = दृषद्वती ) घागर नदी, जो पंजाब के हिन्दी - पंजाबी जनपदों की प्राकृतिक 'सीमा' है 1 पिनाकिनी - (मद्रास में ) नन्दिदुर्ग से उद्गत, 'पेन्नार' नदी । पिष्टपुर — गोदावरी जि० में, 'पिठापुर' । ( हरिषेणप्रशस्ति ) पुण्ड्रवर्धन - पंचगौड़ (बंगाल) में, गंगा तथा हेमाद्रिकूट का 'मध्यदेश' । पुण्यपत्तन- पुणे, पूना, पुनक | पुरुषपुर — गान्धार देश की (एक) राजधानी, पेशावर । ( विप० स्त्रीराज्य ) पुरुषोत्तम क्षेत्र - ( बिहार में ) पुरी । पुलिन्द - भारत की पूर्वीय ( कामरूप ) तथा पश्चिमीय ( बुन्देलखण्ड, सागर ) सीमाओं पर कभी पुलिन्दों तथा शबरों के घर थे । पुष्कर - अजमेर से ६ मील दूर झील 'पोखड़ा' । महाभारत के समय में यहाँ उत्सव संकेतों की सात ( म्लेच्छ ? ) जातियाँ रहा करती थीं । पुष्करद्वीप - मध्य एशिया में, 'बोखारा' । पुष्करावती - प्राचीन गान्धार की राजधानी - जिसे भरत ने अपने पुत्र के नाम से बसाया था और जिस (अष्टनगर ) पर सिकन्दर का पहला आक्रमण हुआ था । पुष्करावती नगर - रंगून । ( दीपवंश ) पुष्पपुर - कुसुमपुर, पटना । पूर्वगंगा-नर्मदा | पृथूदक -- करनाल में, सरस्वती नदी पर, 'पेहोवा' – जहाँ प्रसिद्ध 'ब्रह्मयोनितीर्थ' अवस्थित है । पृष्ठचम्पा - बिहार । पौरव - जेहलम के पूर्व में, पौरवों का राज्य – जहाँ सिकन्दर पुरु की 'अग्निपरीक्षा' पर चकित रह गया था। प्रतिष्ठान - उत्पलारण्य ( बिठूर ), जहाँ के ( राजा उत्तानपाद के पुत्र ) ध्रुव ने मथुरा में घोर तपस्या की थी । पालिग्रन्थों में गोदावरी के तट पर अश्व ( श्म) ल ( महाराष्ट्र ) की (राजधानी) - का उल्लेख 'ब्रह्मपुरी' प्रतिष्ठान नाम से हुआ है। इलाहाबाद के संमुख गंगा-पार झूसी को आज भी 'प्रतिष्ठानपुर' कहते हैं। जिला गुरदासपुर ( औदुम्बर ) की राजधानी पठानकोट का भी पुराना नाम 'प्रतिष्ठान ( कोट ? )' ही था । For Private And Personal Use Only

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