Book Title: Adarsha Hindi Sanskrit kosha
Author(s): Ramsarup
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 815
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ५७७ ] चैत्यगिरि-भोलसा से तीन मील उत्तर की ओर, बेननगर–जहाँ अशोक का ससुराल था। (कपिलवस्तु में लुम्बिनी, सारनाथ में बोधगया, काशी में मृगदाव, श्रावस्ती में जेतवन, मगध में राजगृह वैशाली, कुशीनगर आदि बौद्धों के ८ तीर्थ 'चैत्य' कहाते हैं।) कुछ विद्वानों ने इसकी स्थिति-समता सांची तथा विदिशा से भी की है । ( नहावश ) चोल-पिनाकिनी ( पेन्नार ) तथा कुर्ग नदियों के बीच में कोरोमण्डोल घाट जिसकी राजधानी, कावेरी पर अवस्थित, 'उदैपुर' थी। च्यवन-(बंगाल के शाहाबाद जिले में ) च्यवन ऋषि का आश्रम । जन(क)स्थान-गोदावरी तधा कृष्णा के बीच का प्रदेश (जनकपुर-विदेह) तथा औरंगाबाद जो 'पहले' दण्डकारण्य का एक भाग था-दण्डकारण्य में पंचवटी ( नासिक ) भी शामिल थी। ( भवभूति) जमदग्नि-गाजीपुर में ( 'जमानिया' नाम से प्रसिद्ध ) ऋषि परशुराम का आश्रम । जाबालिपुर--जबलपुर । (प्रबन्धचिन्तामणि) जयपुर-प्राचीन मत्स्य देश, विराटनगर । जाह्नवी-गंगा। किन्तु, जह का आश्रम आजकल, सुलतानगंज (भागलपुर ) के संनुख गंगा से निकल रही एक चट्टान पर था, ऐसा बताते हैं । जीर्णनगर-पूना जिले का जुनेर-जो कभी क्षत्रप राजा नहपान की राजधानी था। जूर्णनगर-यवननगर, जूनागढ़ । जेतवन (विहार)-श्रावस्ती से १ मील दक्षिण की ओर जोगिनीभरिया' नाम का टीला, जहाँ कभी उपवन के अन्दर श्रावस्ती के श्रेष्ठो दानवीर 'अनाथ-पिण्डक' सुदत्त ने एक 'विहार' स्थापित किया था । (चुल्लबग्ग) ज्वालामुखी-कांगड़ा में एक 'पीठ', जहाँ 'सती' की जिला गिरी थी। ज्यालामुखी पर्वत की ऊँचाई ३२८४' है, जहाँ १८८२' पर महेश्वरी की एक 'मूर्ति स्थापित है। झाळखण्ड-छोटा नागपुर, जिसको राजा मधुसिंह की पराजय के अनन्तर अकबर ने १५८५ ई० में मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया था। 'टक्क-व्यास तथा सिन्धु के मध्य का प्रदेश, पंजाब । ( मृच्छकटिक) तक्षशिला-जिला रावलपिण्डी का एक प्राचीन नगर, जहाँ बौद्धयुग में एक प्रसिद्ध विश्व. विद्यालय था। पाणिनि तक्षशिलाविद्यापीठ में 'आचार्य' थे। 'दिव्यावदान' में अंकित है कि बुद्ध किसी पूर्वजन्म में 'भद्रशिला' के राजा थे, जहाँ एक ब्राह्मण भिक्षु ने उनका सिर काट डाला था। तब से भद्रशिला को लोग 'तक्षशिला' कहने लगे। बौद्धयुग में यहाँ पाणिनि के 'संस्कृत व्याकरण' का अध्यक्ष नियुक्त होना ( तथा धनुर्वेद का पाठ्यक्रम में समावेश ) हमारी बौद्ध 'पाली' तथा अहिंसा-विषयक धारणाओं को एकदम निर्मूल सिद्ध कर देता है । तपनी-ताप्ती; तामती । ( मेवदूत) तमसा-( अवध में ) तोंस नदी, जिसके तट पर वाल्मीकि का 'आदि' जीवन बीता था। तालवन-कावेरी पर चोळ राजाओं की पुरानी राजधानी, 'तळकाळ'। तीसरी सदी से यहाँ गंगवंश का राज्य रहा था, जिसे ११वीं सदी में चोलों ने तमिक देश से उखाड़ फेंका। ताम्रपर्णी-(बौद्ध वाङमय में ) सिंहल द्वीप। २. दक्षिण में अगस्त्यकूट पर्वत से उद्भूत ताम्रपर्णी नदी । ( रघुवंश) ताम्रलिप्ती-प्राचीन सुह्म देश की एक नदी एवं राजधानी; मौर्यकाल से लेकर गुप्तों के पान तक ( एक सहस्र वर्ष १ ) इसका यथावत् ऐतिहासिक महत्त्व रहा । ( महा०, रघु०) तीरभुक्ति-तिरहुत । ( देवीभाग० ) For Private And Personal Use Only

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