Book Title: Adarsha Hindi Sanskrit kosha
Author(s): Ramsarup
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 813
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ७७५ ] कुसुमपुर-पाटलिपुत्र (पटना)। ( मुद्राराक्षस ) कूर्माचल-कुमाऊँ । कुमारवन । केकय-व्यास तथा सतलज के बीच का प्रदेश, जिसकी एक राजकुमारी ( कैकेयी ) की ईर्ष्या से राम को वनवास मिला था। कोसल-अयोध्या। जब कोसल साम्राज्य की ( उत्तर, दक्षिण ) दो भागों में विभक्त कर दिया गया, उनकी राजधानियाँ भी क्रमशः कुशावती तथा श्रावस्ती बन गई। भगवान् बुद्ध के समय में कोसल एक बलशाली साम्राज्य था, कपिलवस्तु तथा बनारस उसके अन्तर्गत थे। किन्तु, ३०० ई० पू० में इसका मगध में समावेश हो गया और इसकी राजधानी भी तब श्रावस्ती न रहकर पाटलिपुत्र हो गई। कहीं-कहीं दक्षिण-कोसल की प्रतिष्ठा 'महाकोसल' नाम से भी मिलती है। कौशाम्बी-इलाहाबाद के प्रायः ३० मील पश्चिम की ओर 'कोसम' जो कभी वत्सदेश की राजधानी थी। (बृहत्कथा, भास) कोड़ (देश)-कुर्ग । (कावेरीमाहात्म्य ) क्रौञ्च (-रन्ध्र, पर्वत)-तिब्बत तथा भारत' में (कुमाऊँ की घाटी में ) प्रवेशद्वार, जिसका 'उद्घाटन' परशुराम ने किया था। कुछ विद्वानों के अनुसार यह 'बर्मा-आसाम' को पूर्वीय पर्वतमाला का घोतक है। रामायण के अनुसार क्रौंचपर्वत कैलास का वह भाग है जहाँ मानसरोवर झील शोभायमान है। तो क्या 'कैलास' शिव-पार्वती के दस क्रीड़ा शैलों का एक सामान्य नाम है और तथैव क्या मानसरोवर का भी? खप(स)-किष्टवाक तथा वितस्ता के बीच का इलाका, जिस पर कभी खसों का साम्राज्य' था। कुछ विद्वानों के अनुसार इन पार्वतीय खसों को परास्त करके ही चन्द्रगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' बने थे, किन्तु अधिक सम्भव यही है कि शकाधिपति किदार को वक्षु तक खदेड़ कर चन्द्रगुप्त ने शकों का नामशेष तो किया ही था, साथ ही गुप्तों की डूब चुकी प्रतिष्ठा का उद्धार करके वे वराह-अवतार भी कहलाये। ( देवीचन्द्रगुप्त, हर्षचरित, रघुवंश १३) । गजसाइय-हस्तिनापुर । ( भागवत०) गजेन्द्रमोक्ष-गंगा तथा गण्डकी के संगम पर प्रसिद्ध तीर्थ ( भागवत० )। शोणपुर । गन्धमादन-कैलास की दक्षिणी शाखा, जहाँ कभी हनुमान् का आवास था-बदरिकाश्रम भी यही स्थित है। ( कालिका०, विक्रमो०) गाधिपुर-कान्यकुब्ज ( कन्नौज ) जिसे विश्वामित्र के पिता ने बसाया था। गान्धार, गन्धर्वदेश-काबुल नदी के साथ-साथ बसा हुआ कुनार तथा सिन्ध नदियों का 'मध्यदेश', जिसमें कभी पेशाबर तथा रावलपिण्डी समाविष्ट होते थे। पुरुषपुर ( पेशावर ) तथा समशिला इसकी दो राजधानियाँ थीं।। गिरिकर्णिका-(गुजरात में ) साबरमती। गिरिनगर-गिरिनार-जूनागढ़ में एक पर्वतमाला, जहाँ नेमिनाथ तथा पार्श्वनाथ के प्रसिद्ध जैन मन्दिर हैं। कभी ऋषि दत्तात्रेय का आवास था। अशोक के कुछ शिलालेख यहाँ भी अभिलिखित हुए थे। सुदर्शन झील का तथा उसके उद्धारक रुद्रदामन् का नाम भी इससे सम्बद्ध है । ( स्कन्द०, बृहत्सं०) गिरिवज्र-(बिहार में) मगध की प्राचीन राजधानी-राजगृह-वसु' के द्वारा संस्थापिता होने से इसे वसुमती भी कहा जाता है (रामायण)। 'बुद्धयुग' में इसे कुसुमपुर भी कहने लगे थे। प्रसिद्ध विश्वविद्यालय 'विक्रमशिला (विहार ) यही स्थित था। (महावग्ग) गृध्र कूट-गिरिन्गर' के दक्षिण की ओर रत्नगिरि शृङ्खला का एक भाग, जहाँ तपोमन बुद्ध पर For Private And Personal Use Only

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