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उदाहरण
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(क) भग्नमसत्यैः काय सहस्रैः; मोहमयी गुर्वी तव माया ।
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स्वप्न विलासा योगवियोगा; रुक्मवती हा कस्य कृते श्रीः ॥ ( ख ) शान्ति नहीं तो जीवन क्या है, कान्ति नहीं तो प्रेम नहीं तो आदर क्या है, प्यास नहीं तो
यौवन क्या है ! सागर क्या है !
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( २ ) मत्ता
लक्षण - मत्ता ज्ञेया मभसगयुक्ता ( विराम ४, ६ ) ।
अर्थ --- मत्ता के प्रत्येक चरण में मगण, भगण, सगण और गुरु के क्रम से १० वर्ण होते :
उदाहरण
[ ७२८]
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पीत्वा मत्ता मधु मधुपाली; कालिन्दीये तटवनकुञ्ज । ऽ ऽ ऽ ऽ । ।, ।। s, s 'उद्दीन्यन्तीव्रजजनरामा ः; कामासक्ता मधुजिति चक्रे ॥
प्रति चरण ११ अक्षरवाले छन्द
( १ ) इन्द्रवज्रा
लक्षण – स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः । ( विराम पादान्त में )
अर्थ - इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, जगण और दो गुरु के क्रम से ११ वर्ण होते हैं ।
उदाहरण --
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( रामनरेश त्रिपाठ
(क) गोष्ठे गिरिं सव्यकरेण धृत्वा,
SS 1, s ऽ ।, । ऽ। s s रुष्टेन्द्रवज्राहतभुक्तवृष्ट 1 यो गोकुलं गोपकुलं च सुस्थं, चक्रे स नो रक्षतु चक्रपाणिः || ( ख ) मैं जो नया ग्रन्थ विलोकता हूँ, भाता मुझे सो नव मित्र-सा है । देखूँ उसे मैं नित बार बार,
मानो मिला मित्र मुझे पुराना ॥ ( गिरधर शर्मा ) (२) उपेन्द्रवज्रा
लक्षण - उपेन्द्रवज्रा जतजास्ततो गौ । (विराम पादान्त में )
अर्थ - उपेन्द्रवज्रा के प्रत्येक पाद में जगण, तगण, जगण और दो गुरु अक्षरों के क्रम से ११ वर्ण होते हैं ।
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