Book Title: Adarsha Hindi Sanskrit kosha
Author(s): Ramsarup
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 808
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ७७० ] अच्छोद - काश्मीर का एक सरोवर ( आधु० अच्छावत ), जिसके तट पर कभी 'सिद्धाश्रम' अवस्थित था । ( कादम्बरी ) अनन्तनाग — जेहलम के दक्षिण तट पर स्थित ( काश्मीर की ) प्राचीन राजधानी । ( आधु० इस्लामाबाद ) अनन्तशयन - त्रावनकोर का पद्मनाभपुर, जहाँ एक मन्दिर में विष्णु की शेषनाग पर प्रसुप्त मुद्रा में अंकित मूति सुरक्षित है । ( पद्म० उत्तर ० ) अनहिलपत्तन - वलभी साम्राज्य के विध्वंस पर 'वनराज' द्वारा गुजरात ( उत्तर- बड़ोदा ) में ( ७४६ ई० ) प्रतिष्ठापित एक ( आधु० अनिहिलबाळ ) नगर । अनुराधपुर - सिंहल (सीलोन ) की पुरानी राजधानी, जहाँ महिन्द तथा संघमित्रा द्वारा रोपित athaवृक्ष की शाखा से विकसित 'अश्वत्थ' आज भी विद्यमान है । ( महावंश ) अनूप - दक्षिण मालव देश, हैहय, महिष ( माहिषक ) | ( हरिवंश० ) अन्तर्वेद - गंगा तथा यमुना के अन्तर्गत दोआब । ( भविष्य० ) अपग -- अफ़ग़ानिस्तान । ( ब्रह्माण्ड० ) अपरान्त ( क ) - कोंकण तथा मालावार, पश्चिमी घाट । ( रघु०, ब्रह्म० ) अभिसारा (रि) - पेशावर डिविजन में एक जिला, उरशा ( आधु० हजारा ), जिसे अर्जुन ने (सभापर्व०, पद्म० ) अपनी त्तर- दिग्विजय में जीता था। अमरकण्टक - गोंडवाना में मेकल पर्वतमाला का एक भाग, जो नर्मदा तथा शोग का उद्गमस्थ मेघदूत ) | है; आम्रकूट (?) (पद्म०, स्कन्द ०, अमरावती - भान्ध्र में कृष्णा के तट पर, बेजवाड़ा के प्रायः २० मील पश्चिम की ओर स्थित प्रसिद्ध बौद्धस्तूप ( का भव्य स्थान ) जिसे चतुर्थ शती के अन्त में आन्ध्रों ने निर्मित किया था । अम्बर - जयपुर ( के समीप प्राचीन नगर आमेर ) । इसकी मूल प्रतिष्ठा मान्धाता के पुत्र अम्बरीष ने की थी तथा 'वर्तमान' रूपान्तर मानसिंह ने अकबर के दिनों में किया था । ( भविष्य० ) अयोध्या- 'राम-राज्य का पुनीत धर्मक्षेत्र', अवध । बौद्धयुग में सरयू नदी अयोध्या को उत्तरकोसल तथा दक्षिणकोसल में विभक्त करती थी । अयोध्या के ध्वस्त तीर्थों का पुनरुद्धार देवीं शती में किसी गुप्त 'विक्रमादित्य' ने किया था । अरण्य -सैन्धव, दण्डक, नैमिष, कुरुजंगल, अपरावृत, जम्बुमार्ग, पुष्कर, हिमालय तथा अरण्य का नौ तीर्थ वनों में परिगणन होता है । ( देवी० ) अरुणाचल - कैलास के पश्चिम में एक पर्वतमाला । २. दक्षिण भारत में सुरक्षित 'अष्टमूर्ति' ( शिवजी महाराज ) की पाँच 'भौतिक' मूर्तियों में एक- 'अग्नि प्रतिमा' जहाँ प्रतिष्ठित है । ( ब्रह्माण्ड ० ) अरुणोद(गढ़वाल। ( स्कन्द० ) अर्धगंगा-कावेरी । ( हरिवंश ० ) अर्बुद - ( राजपूताना की ) सिरोही रियासत में अरवळी पर्वतमाला की 'आबू' शाखा, जहाँ से वशिष्ठ ने विश्वामित्र के विरुद्ध युद्ध करने के लिए 'परमार' जैसे वीर को एक 'अग्निकुण्ड' से उत्पन्न किया था । ( महाभा०, पद्म० ) अलका - यक्षपति कुबेर की राजधानी, जिसका नामकरण, संभवतः, गढ़वाल में बहती अलकनन्दा ( अपरनन्दा, वसुधारा ) नामक नदी के अनुकरण पर हुआ था । ( स्कन्द ० ) भवन्ती - मालव राज्य की 'राजधानी' उज्जयिनी (उज्जैन), जिसे ७-८वीं सदी से मालवा कहते आते हैं । कभी यह संवत्प्रवर्तक विक्रमादित्य की 'राजधानी' थी । २. सिप्रा ( नदी का एक नाम ), जिस पर प्राचीन उज्जैन स्थित था । For Private And Personal Use Only

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