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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उदाहरण भ म म गु (क) भग्नमसत्यैः काय सहस्रैः; मोहमयी गुर्वी तव माया । www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऽ ।।, ऽ ऽ ऽ, ।। ऽ,ऽ स्वप्न विलासा योगवियोगा; रुक्मवती हा कस्य कृते श्रीः ॥ ( ख ) शान्ति नहीं तो जीवन क्या है, कान्ति नहीं तो प्रेम नहीं तो आदर क्या है, प्यास नहीं तो यौवन क्या है ! सागर क्या है ! स भ त ( २ ) मत्ता लक्षण - मत्ता ज्ञेया मभसगयुक्ता ( विराम ४, ६ ) । अर्थ --- मत्ता के प्रत्येक चरण में मगण, भगण, सगण और गुरु के क्रम से १० वर्ण होते : उदाहरण [ ७२८] त स गु पीत्वा मत्ता मधु मधुपाली; कालिन्दीये तटवनकुञ्ज । ऽ ऽ ऽ ऽ । ।, ।। s, s 'उद्दीन्यन्तीव्रजजनरामा ः; कामासक्ता मधुजिति चक्रे ॥ प्रति चरण ११ अक्षरवाले छन्द ( १ ) इन्द्रवज्रा लक्षण – स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः । ( विराम पादान्त में ) अर्थ - इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, जगण और दो गुरु के क्रम से ११ वर्ण होते हैं । उदाहरण -- ज ( रामनरेश त्रिपाठ (क) गोष्ठे गिरिं सव्यकरेण धृत्वा, SS 1, s ऽ ।, । ऽ। s s रुष्टेन्द्रवज्राहतभुक्तवृष्ट 1 यो गोकुलं गोपकुलं च सुस्थं, चक्रे स नो रक्षतु चक्रपाणिः || ( ख ) मैं जो नया ग्रन्थ विलोकता हूँ, भाता मुझे सो नव मित्र-सा है । देखूँ उसे मैं नित बार बार, मानो मिला मित्र मुझे पुराना ॥ ( गिरधर शर्मा ) (२) उपेन्द्रवज्रा लक्षण - उपेन्द्रवज्रा जतजास्ततो गौ । (विराम पादान्त में ) अर्थ - उपेन्द्रवज्रा के प्रत्येक पाद में जगण, तगण, जगण और दो गुरु अक्षरों के क्रम से ११ वर्ण होते हैं । For Private And Personal Use Only
SR No.091001
Book TitleAdarsha Hindi Sanskrit kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamsarup
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1979
Total Pages831
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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