Book Title: Adarsha Hindi Sanskrit kosha
Author(s): Ramsarup
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 743
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ७०५ ] अपनी इज्जत अपने हाथ । १. लोके गुरुत्वं विपरीततां वा स्वचेष्टितान्येव नरं नयन्ति। २. निजाधीनं स्वगौरवम् । अपनी करनी पार उतरनी। कृत्यैः स्वकीयैः खलु सिद्धिलब्धिः। अपनी ग़रज़ बावली होती है। १. अर्थार्थी जीवलोकोऽयं श्मशानमपि सेवते । (पंचतंत्र) २. किन्न कुर्वन्ति स्वार्थिनः? अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है। | निजसदननिविष्टः श्वा न सिंहायते किम् ? अपनी छाछ को कोई खट्टी नहीं कहता। १. सर्वः खल्वात्मीयं कान्तं पश्यति । २. न हि कश्चिन्निजं तक्रमम्लमित्यभिभाषते । अपनी देह किसे प्यारी नहीं? ( अशेषदोषदुष्टोऽपि ) कायः कस्य न वल्लभः ? (पंचतंत्र) अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन | आत्मक्षत्याऽपि विघ्नन्ति परकर्माणि दुर्जनाः । तो बिगड़े। अपनी पगड़ी अपने हाथ। दे. 'अपनी इज्जत अपने हाथ' । अपनी बुद्धि पराया धन कई गुना दोखता है। स्वमतिः परधनञ्चैव वृद्धवृद्धं हि दृश्यते । अपने गरीवान में मैंह डालकर देखना। | विरूपो यावदादशे पश्यति नात्मनो मुखम् । मन्यते तावदात्मानमन्येभ्यो रूपवत्तरम् । (महाभारत) अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता। दे. 'अपनी छाछ को." अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ा मारना। १. दुःखसहनं स्वदोषेण । २.स्वकरणांगारकर्षणम्। अपने मुँह मियाँ मिळू । इन्द्रोऽपि लघुतां याति स्वयं प्रख्यापितैर्गुणैः । अपयश से मौत भली। सम्भावितस्य चाकीतिमरणादतिरिच्यते । (गीता) अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग | १. निर्वाणदीपे किमु तैलदानम् ? गई खेत। २. गतस्य शोचनं नास्ति । ३. गतं शोचन्त्यपण्डिताः। ४. गते शोको निरर्थकः। अभी दिल्ली दूर है। अद्यापि दूरतः सिद्धिः। अमीर को जानप्यारी,गरीब को जान भारी। धनाढ्यो रक्षति प्राणान् निर्धनस्त्यक्तुमिच्छति । अरहर की टही गुजराती ताला। पाषाणे मृगमदलेपः। अलखामोशी नीमरजा। मौनं स्वीकारलक्षणम् । अल्पाहारी सदा सुखी। अल्पाहारी सदासुखी। अशरनियाँ लुटीं, कोयलों पर मुहर । १. निष्कापव्ययः, पणरक्षणम् । २. चन्दनदाहः, शमीरक्षा । अस्सी की आमद चौरासी का खर्च । १. अल्प आयो व्ययो महान्। २. न्यूनायेऽधिकव्ययः। आँख और कान में चार अंगुल का फ्रक श्रवणे दर्शने चैव वर्तते महदन्तरम् । __ होता है। आँख न दीदा काढ़े कसीदा। | अन्धो वीक्षितुमुद्यतः। आँख से दूर दिल से दूर। | १. दूरता स्नेहनाशिनी। २. नयनदूरं मनोदूरम् । आखों के अंधे नाम नयन-सुख । १. यस्य पार्श्वे धनन्नास्ति सोऽपि धनपाल उच्यते। | २. वित्तेन हीनो नाम्ना नरेशः । For Private And Personal Use Only

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