Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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अनुसरण ही हमारी उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
श्रीमद् विजयानंद सूरि महाराज हमारे मूल पुरुष हैं । जैन धर्म के स्वर्णिम इतिहास के जिस मोड़ पर वे हुए हैं वहीं से जैन धर्म का आधुनिक इतिहास प्रारंभ होता है। श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा के स्रोत वे ही थे। आज जो जैन धर्म की भव्यता, स्थिरता, विकास और प्रचार-प्रसार दृष्टिगत होरहा है उसके जन्मदाता भी वे ही हैं । अपने समर्थ व्यक्तित्व के प्रताप से उन्होने युग की धारा को बदल दिया था। एक नवीन इतिहास के स्रष्टा बनकर वे इतिहास पुरुष बन गए हैं।
युग पुरुषों का जीवन, कार्य और चिंतन कभी अप्रस्तुत नहीं होता । वे सदाकाल हमारी अजस्र प्रेरणा के स्रोत बने रहते हैं। श्रीमद् विजयानंद सूरि महाराज भी हमारी अखंड प्रेरणा के स्रोत हैं।
प्रस्तुत ग्रन्थ उनकी पावन, धवल, प्रेरक और उज्जवल स्मृति को चिरस्थाई और कायम रखने का उपक्रम है । यह उस युग पुरुष का स्मृति स्तम्भ है । इसी के साथ-साथ यह प्रेरणा स्तम्भ
भी है । उनके उदात्त जीवन, महान कार्य एवं युगीन चिंतन का विशद वर्णन इस ग्रन्थ में हुआ है। जिन्होंने कड़ा परिश्रम करके यह दुर्लभ स्मृति ग्रन्थ तैयार किया है वे निश्चित ही साधुवाद के पात्र हैं । स्वर्गारोहण शताब्दी की यह 'अमर स्मृति' बनेगा।
इस स्वर्गारोहण शताब्दी के निमित्त जिन ठोस, बुनियादी और रचनात्मक कार्यों की हमने बुनियाद रखी है उस बुनियाद और परंपरा को आनेवाली पीढ़ियां आगे बढ़ाएं एवं श्रीमद् विजयानंद सूरि महाराज के जीवन, कार्य और साहित्य से लोग अधिक से अधिक परिचित हों, उनसे प्रेरणा ग्रहण करें यही मंगलकामना और आशीर्वाद है।
Grains.६६२, (आचार्य विजय इन्द्रदिन्न सूरि)
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