Book Title: Veerstuti Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 5
________________ ४ ] अपने महापुरुषों की स्मृति, हमें नया जीवन, नया प्राण अर्पण करती है। उनके गुणों का गान, हमारे अंधकारमय जीवन में प्रकाश की उज्ज्वल-समुज्ज्वल किरण फेंकता है। उनकी स्तुतियाँ हमारे हृदय की चिर मलिनता को धोकर साफ कर देती हैं। लोग पूछते हैंभगवान् का नाम लेने से क्या लाभ है ? लोग कहते हैं- भगवान् की स्तुति करने से पाप कटने में युक्ति क्या है ? उत्तर यह है कि हम जिस समय किसी वस्तु का नाम लेते हैं, तो तत्काल हमें उसकी आकृति, उसके गुण और उसकी विशेषता आदि का भी स्मरण हो जाता है। जब हम कसाई शब्द का उच्चारण करते हैं, तब हमारे मानसिक नेत्रों के सामने एक ऐसे निम्न श्रेणी के व्यक्ति का गंदा चित्र अंकित हो जाता है जिसकी लि-लाल आँखें हैं, काला शरीर है, हाथ में छुरा है और बड़ा भयकर क्रू र स्वभाव है। और वेश्या कहते ही हमारे हृदय-पट पर वेश्याके भोग-विलासमय जीवन वाली नारकीय मूर्ति अंकित हो जाती है। इसके विपरीत किसी अच्छे सद्गुणी सन्त या गृहस्थ का नाम आता है, तो हृदय किसी और ही अलौकिक भावों में वहने लगता है । अस्तु, इसी प्रकार जब हम भगवान् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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