Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 18
________________ कदम्बसर्जार्जुनकन्दलाढ्य IV. 28.34a कदम्बार्जुनसजेंच IV. 27.100 कदर्यकलपा बुद्धिः III. 9.28a कदलीकाण्डसदृशौ III. 62.4a कदलीगृहकं गत्वा III. 42.23a कदल्यदविसंशोगम् III. 35.13a कदल्या संम III. 62.4b कदाचित्कस्यचिद्भवेत IV. 64.22b कदाचित्क्षौमधारिणी IV. 66.11b कदाचिच्छिखरे तस्य III. 73.42a कदाचित्तत्र गायक I. 4.28d कदाचित्तं महामुनिम् III. 11.2gd कदाचित्तु महातेजाः I. 51.21a कदाचित्प्रहरेदपि VI. 17.23d कदाचित्संस्मराम्यहम् VI. 111.6gd कदाचिदपि मन्दया VI. 111.3gb कदाचिदप्यहं वीर्यात् III. 38. Ja कदाचिदुपकारेण II. 1.11a कदा द्रक्ष्यति मां पति: V. 37.6d द्रक्ष्यामहे रामम II. 83. Sc द्रक्ष्यामि रामस्य II. 61.8c सीतां च VI. 48.21c 22 नाम सुतं द्रक्ष्या ( मि ) II. 1. 37c " नु खलु मे भ्राता II. 114.250 साध्वी VI. 5.2ca सुश्रोणीम् VI. 5.12a "" " " ار " " " " " " " " सोत्कम्पैः VI. 5.14C राक्षसेन्द्रस्य VI. 5. rga परिणतो बुद्ध्या II. 43.16a कदापि पुरुषं स्पृशे III. 45.37d कदा प्राणिसहस्राणि II. 43.13a प्रेक्ष्य नरव्याघ्रौ II. 43.11a " 29 .. 22 " कदायोध्या भविष्यति II. 43. 10b कदायोध्यां महाबाहुः II. 43.12a कदा शोकमिमं घोरम् VI. 5.21a २ Jain Education International १८३ कदा शोणितदिग्धाङ्गम् VI. 24.38a श्रोष्यामि लक्ष्मण IV. 1.1iod ލ " " ވ رو कदाहं पुनरागम्य II. 49.14a काहं समेष्यामि III. 16.40a कद्रूर्नागसहस्रं तुळIII. 14.32a कश्च सुरसा स्वसा III. 14.31d कनकविमलहारभूषिताङ्गी V. 20. 360 कनीयानभिषिच्यते VII. 63.2d कनीयानेष मे भ्राता I. 71.20 कनीयाँलक्ष्मणो III. 31.16c कनिष्ठ शुनकं प्रभो I. 61. 18b कं ते कामं करोम्यद्य VII. 10.14C त्वं प्राक्केवलं धर्मस् VII. 18.12a कन्दमूलं तथैौषधम् VII. 82.3b कन्दमूलफलैर्जीवन् II. 20.2gc कन्दमूलफलं बहु V. 1. rcgd हृत्वा II. 64.34a कन्दराणि च शैलांच IV. 13.6a कन्दरात्तु विसर्पित्वा IV. 63.2a कन्दरादभिनिष्क्रम्य IV. 56.3a कन्दरांश्च शिलास्तथा IV. 49.13b कन्दरेषु नदीषु च IV. 40.67b व॑नेषु च IV. 40.62b कन्दरोदरकूटवान् IV. 60.7b - संस्थानाम् V. 56.45a कन्दर्प इव मूर्तिमान् V. 34.30b - दयितं तथा I. 27.16b މވ "" समभिधावन्ति VI. 24.37a सुचारुदन्तोष्ठम् VI. 5.13a सुमनसः कन्याः II. 43.15a "" कन्दर्पदर्पवशग: I. 63.6a " ފލ - शरपीडितः VII. 17.19d VII. 56.17b " कन्दर्पसदृशप्रभम् III. 17.8d कन्दर्पसमरूपश्च III. 34.6a For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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