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और उनके सिद्धान्त ।
श्रीवल्लभाचार्य के पिताका नाम लक्ष्मणभट्टजी था । श्रीलक्ष्मण- इनका जन्म कब हुआ यह अभीतक कुछ
भट्टजी. निश्चय नहीं हो सका है। इनके एक भाई भी थे जिनका नाम जनार्दन भट्ट था । इनकी छोटी अवस्था ही ये पितृहीन हो गये थे । फिरभी माताके अनवरत अध्यवसायसे आप खूप पढ़ लिख कर बडे विद्वान् हो गये थे। ऐसा सुननेमें आता है कि आपका अध्ययन आपके मातामहके द्वारा हुआ था। _श्रीलक्ष्मणभट्टजी एक समर्थ विद्वान् थे । विद्याध्ययनके अनन्तर आपश्री ने विद्यानगर के सुप्रसिद्ध सुशर्मा नामके एक स्वजातीय ब्राह्मणकी कन्या इल्लमागारु के साथ पाणिग्रहण किया था। __ भगवान् ने पूर्व में आपके पूर्व पुरुष यज्ञनारायणजी को वरदान दिया था कि तुम्हारे यहां सो सोमयाग पूरे होनेपर मैं स्वयं तुम्हारे यहां अवतार धारण करूंगा । फलतः श्रीलक्ष्मण भट्टजी ने सो सोमयाग पूर्ण भी करदिये थे अतः वहांही आपने अवतीर्ण होनेका निश्चय किया।
श्रीलक्ष्मणभट्टजी विद्यानगरके राजपुरोहित सुशर्मा नामके एक स्वजातीय ब्राह्मणकी कन्या इल्लमागारूसे विवाहित हुए थे यह हम पूर्व में कह आये हैं। उनका बहुत सा समय काशीजीमें ही अतिवाहित होता था । किन्तु उन दिनों यवनों का उपद्रव काशी में विशेष रीति से था । इससे आप