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और उनके सिद्धान्त ।
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दक्षिण देश विद्वानों का निवास स्थान हो रहा था इस लियें पहले आपने वहां ही जाकर दिग्विजय करना निश्चित किया । दक्षिणमें आपको बहुत प्रकारके वादी मिले तथा उन सवों से आपको एक न एक नई बात भी मिली । विद्यानगर से लेकर दक्षिण यात्रा पर्यन्त आपको जो वादी मिले उनमें रामानुज, योगी, कापालिक, शैव, रामानंदी, वीर, वैष्णव, मायावादी, माहेश्वर, वैरागी ये मुख्य थे । इनके सबों के मत वडे विचित्र थे और कोई २ तो अपनी प्रकृति में भी बडे विचित्र और दुष्ट थे । वादमें विजय न देख वे शारीरिक विजय प्राप्त करने को उत्सुक हो उठते । कितनों हीनें तो श्री महाप्रभुजी को शारीरिक हानि भी पहुंचाने की सोची थी । किन्तु आपके अलौकिक सामर्थ्य और बल से सब हार गये । आपने समस्त दक्षिण देश में विजय प्राप्तकर उसमें अपना ब्रह्मवाद स्थापित किया ।
दक्षिण छोड श्रीमदाचार्यचरण पंढरपुर होते हुए गोकुल पधारे । मार्ग में आपने घट सरस्वती को परास्त किया । घट सरस्वती के विषय में यह ख्याति थी कि उसने सरस्वती को वश में कर रक्खा है । किन्तु वह श्रीमहाप्रभुजी से परास्त हो कर पलायन कर गया ।
श्रीगोकुलको उपयुक्त स्थल मान आपने वहां रहने का निश्चय किया और वहां ही आपने शुद्धपुष्टि भक्ति अर्थात्