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श्रीमद्वल्लभाचार्य पर इनकी कृपा होती है वही इन को प्राप्त कर सकता है। अपना बल यहां कुछ काम नहीं आता। __ भगवान् भक्त के कितने वश्य हैं इसका एक उदारहण हम यहां देगे। - ब्रजभूमि की बात है । भगवान् श्रीकृष्ण उस समय चरणोंसे चलने लग गये थे । बालकों में जैसी चंचलता और अबाध्यता होती है भगवान् में शायद उस से हजार गुनी ज्यादह थी । वे कभी छाछ और माखन की हांडी फोडते थे तो कभी घडा भरा हुआ जल बिछौनो पर उडेल देते थे । कभी नंद बावा की सूखी हुई धोती कीच में डाल देते तो कमी उनकी खडाऊं छिपा आते । नन्द बावा कभी इनके इस उत्पात पर इनका चुंबन करते, कभी इनके सुकोमल गालों पर एक थपकी धर देते और कभी झूठ मूठ लड़ देते । पिता का क्रोध वे जानते थे कि पानी से भी पतला है किन्तु माता यशोदा से वे हमेशा डरते रहते थे। ___ एक दिन श्रीयशोदा अपने पुत्रको गोदमें लेकर स्तन पान करा रही थीं । सामने के मकानमें दूध गरम हो रहा था । थोडी देरमें दूध उफन ने लगा तो श्रीयशोदा श्रीकृष्ण को वहीं छोडकर दूधको सम्हालने चली गईं। यह बात श्रीकृष्ण को बुरी मालुम हुई । उन्होने लुढिया