Book Title: Vallabhacharya aur Unke Siddhanta
Author(s): Vajranath Sharma
Publisher: Vajranath Sharma

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Page 400
________________ संप्रदाय के सात पीठ एवं उनके अधीश्वर -00-000 हम अन्यन्त यह लिख आये हैं कि इस संप्रदाय में श्रीकृष्ण ही सर्वत्र सर्वदा समान रूप से सेव्य हैं। नाथद्वार में विराजमान श्रीनाथजी का स्वरुप स्वयं श्रीकृष्णचन्द्रका, उस समय का साक्षात्स्वरूप है जिस समय आपने गोवर्धन धारण किया था। सम्प्रदाय के सब अनुयायी श्रीनाथजी के इस परम धाम को सर्वपूज्य मानते हैं तथा एक समय श्रीनाथजी के दर्शनार्थ नाथद्वार जाना अपने अत्यावश्यक कार्यों में से प्रथम आवश्यक कार्य मानते हैं । यहां के अधीश्वर अपनी जाति एवं वैष्णव वर्ग में सर्वपूज्य गिने जाते हैं । इसी श्रेष्ठता का निदर्शन कराने के लिये आपको वैष्णव वर्ग तिलकायित कह कर सम्मानित करता है। आज कल गोस्वामी तिलक विद्यानुरागी सम्माननीय श्रीगोवर्धनलालजी महाराज श्रीनाथजी के प्रधान पीठस्थित हैं । आपका सन्मान वैष्णवो में और जाति में असाधारण है। आप सर्वत्र सर्व पूज्य गिने जाते हैं।

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