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श्रीमद्वल्लभाचार्य श्रीमहाप्रभुजी के यहां पुत्र होकर जन्म ग्रहण किया था। आपके अग्रज श्रीगोपीनाथजी बडे विद्वान् और अनन्य भक्त थे । दुःख की बात है आप का वंश चला नहीं । वर्तमान् समस्त गोस्वामी बालक श्रीविठ्ठलनाथजी के वंशज हैं। ___ आपकी बालावस्था अपने पिता की सुशीतल छाया में व्यतीत हुई थी। आपश्री की अवस्था जिस समय पन्द्रह वर्ष की हुई उस समय श्रीमहाप्रभुजी अपने धाम को पधारे थे किन्तु इतने से ही समय में श्रीविठ्ठलनाथजी प्रौढ विद्वान् हो चुके थे । फिर भी आप अपने अध्ययन में अभिवृद्धि ही करते रहे । और अपने उस अध्ययन के फल को आपने ऐसे कार्य म नियोजित किया जिस से सम्प्रदाय आज भी अपनी अभिवृद्धि किये जाता है ।
यद्यपि श्रीवल्लभाचार्य महाप्रभुने कई बार पृथ्वीप्रदक्षिणा कर वादियों को परास्त कर ब्रह्मवाद का मंडन किया था । तथापि संप्रदाय का वह प्रारंभ काल था और उसके अनुयायी बहुत स्वल्प थे । किन्तु श्रीविठ्ठलनाथजी प्रभुचरण ने संप्रदाय को अपने ही समय में बहुत व्यापक बना दिया था । आप के समय में संप्रदाय खूब व्यापक हुआ इसका एक कारण यह भी था कि आपने क्रियात्मक सेवापद्धति का प्रचालन संप्रदाय में किया था। इस के अति