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और उनके सिद्धान्त ।
होनी अत्यन्तावश्यक है । भगवान् श्रीकृष्ण का सम्बन्ध भी आपही की कृपा से होना साध्य है। हमेशां तुलसीमाला में श्रीमदाचार्य का नामस्मरण किया करना चाहिये । यह बात भी अवश्य याद रखनी चाहिये कि श्रीमहाप्रभुजी के आश्रय से संप्रति सर्व गोस्वामी बालक भी जीवों के उद्धार करने में समर्थ हैं।
श्रीमहाप्रभुजी का प्राकव्य यदि भूतलपर न हुआ होता तो ? __ यदि हमारे अभाग्य वश श्रीमदाचार्यचरण भूतलपर न पधारते तो हमें कितनी हानि होती उसका अनुमान हम नहीं कर सकते । वे नहीं पधारते तो इस दैवी सृष्टिको श्रीवृजाधीश की प्राप्ति कहां से होती ? और इस प्रकार सृष्टि भी व्यर्थ हो जाती । वे यहां न प्रकट होते तो प्रेमकी पराकाष्ठारूप निर्गुण पुष्टिभक्तिका दर्शन कौन कराता ? शुद्ध ब्रह्मवाद का स्वरूप कौन समझाता? श्रीमद्भागवत के गूढ तत्त्वको कौन प्रकटित करता? और निःसाधन जीवोंके लिये ब्रह्मसंबंध मंत्र कौन निर्मित करता? आपने ही परम कृपालु हो यहां पर जन्म ग्रहण किया। सर्वसामान्य शरण मार्गकी स्थापना की जिसमें उद्धार लायक सर्वजीवों का अधिकार है और वह सर्वत्र आचरणीयहो सकता है । कलियुगमें तो इसी से उद्धार हो सकता है।
पुष्टिमार्गीय वैष्णवों का यह सबसे बडा कर्तव्य है कि