Book Title: Uvasagdasao
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
गोशालमतम्
१७१
सीयलपर्हि उल्लएहि हत्थेहिं गायाई परामुसंति । जे णं ते देवे साइजर, सेणं आसीविसत्ताए कम्मं पकरेइ, जे णं ते देवे' नो साइजइ तस्स णं संसि सरीरगंसि अगणिकाए संभवइ, सेणं सरणं तेएणं सरीरगं झामेइ, झामेत्ता तओ पच्छा सिज्झइ, जाव अंत करेइ, से तं सुद्धपाणए ॥
३०. तत्थ णं सावत्थीप नयरीए अयंपुले नामं आजीवि.. ओवासए परिवसइ, भड्डे, जाव अपरिभूए, जहा हालाहला,. जाव आजीवियसमएणं अप्पाणं भवेमाणे विहरइ । तए णं तस्स अयंपुलरस आजीविओवासगस्स अन्नया कयाइ पुव्व-रत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए, जाव समुप्पजित्था - किंसंठिया हल्ला प ण्णत्ता ? तर णं तस्स अयंपुलस्स आजीविभोवासगस्स दोन्चं पि अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पजित्था - ' एवं खलु ममं धम्मार धम्मोदेसर गोसाले मंत्रलिपुत्ते उप्पन्ननाणदंसणधरे जाव सव्वन् सव्वदरिसी इहेव सावत्थीए नयरीप हालाहलाए कुंभकारीप कुंभकारावणंसि आजीवियसंघसंपरिवुडे आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ; तं सेयं खलु मे कलं जाव जलते गोसालं मंखलिपुत्तं वंदित्ता जाव पज्जुवासेत्ता इमं एयारूवं वागरणं वागरित ति कट्टु एवं संपेहेइ । एवं संपेहेत्ता कलं जाव जलंते पहाए कय जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे साओ गिहाओ पडिनिक्खमद्द | २ ता पायविहारचारेणं सावत्थि नयरिं मज्झंमज्झेणं जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छइ । उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंधकूणगहत्थगयं जाव अंजलि --

Page Navigation
1 ... 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262