Book Title: Uvasagdasao
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 197
________________ गोशालमतम् १८३ ४२. तए णं तस्स देवसेणस्स रनो अन्नया कयाइ सेए संखतलविमलसंनिगासे चउदंते हस्थिरयणे समुप्पजिस्सइ। तए णं से देवसेणे राया तं सेयं संखतलविमलसंनिगासं चउइंतं हस्थिरयणं दुरुढे समाणे सयदुवारं नयरं मज्झंमज्झणं अभिक्खणं २ अभिजाहिइ निजाहिद य । तए थे सयदुवारे नयरे वहवे राईसर जाव पभिईओ अन्नमन्नं सदावहिति, सहावेत्ता वएहिति-जम्हाणं देवाणुप्पिया अम्हं देवसेणस्त रनो सेए संखतलसंनिगासे चउदंते हत्थिरयणे समुप्पन्ने, त होउ णं देवाणुप्पिया अम्हं देवसेणस्स रन्नो तच्चे विनामधेजे 'विमलवाहणे विमलवाहणे'त्ति । तए णं तस्स देवसेणस्ल रत्नोतञ्चे विनामधेजे 'विमलवाहणे'ति॥ ४३. तए णं से विमलवाहणे राया अन्नया कयाइ समणेहिं निग्गंथेहिं मिच्छं विप्पडिवजिहिइ, अप्पेगइए आउसहिइ, अप्पेगइए अवहसिहिइ, अप्पेगइए निच्छोडेहिइ, अप्पेगइए निमत्यहिइ, अप्पेगइए बंधेहिइ, अप्पेगइए निरंभेहिइ, अप्पेगइयाणं छविच्छेदं करेहिइ, अप्पेगइए पमारोहिइ, अप्पेगइयाणं उद्दवहिइ, अप्पेगइयाणं वत्थं पडिग्गहं कंवलं पायपुंछणं आच्छिदिहिइ विच्छिदिहि भिंदिहिइ अवहरिहिइ, अप्पेगइयाणं भत्तपाणं वोच्छिदिहिइ,अप्पेगइए निन्नगरे करेहिइ, अप्पेगइए निविसए करोहिइ । तए पं. सयदुवारे नयर यहवे राईसर जाव वइहिति-एवं खलु देवाणुप्पिया विमलवाहणे राया समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छं विप्पीडवन्ने, अप्पेगइए आउस्सइ जाव निविसए कारेइ, तं नो खलु देवाणुप्पियाएयं अम्हंसेयं, नो खलु एयं विमलवाहणस्स रनो सेयं, नो खलु एयं रजस्स वारटुस्स वा

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