Book Title: Uvasagdasao
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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-- [ ( ख ) सूत्रकृताङ्गात् - २ - ६ ]
गोसाले
पुराकर्ड अद्द इम सुणेह मेगन्तयारी समणे पुरासी । से भिक्खुणो उवणेत्ता भणेगे आइक्खएहि पुढो वित्थरेण १ साजीविया पवियाथिरेण सभागओ गणओ भिक्खुमज्झे । आइक्त्रमाणो बहुजन्नमत्थं न संधयाई अवरेणं पुव्वं ॥ २ ॥ एगन्तमेवं अदुवा वि एहि दोवन्नमन्नं न समेइ जम्हा । " 'अहे
पुव्वि च एहिं च अणागय वा एगन्तमेवं पडिसंघयाइ ||३|| समिच्च लोग तस्थावराण खेमकरे समणे माहणे वा ।
आइक्खमाणो विं सहस्समज्झे एगन्तयं सारयई तहये ||४||
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धम्मं कहन्तस्स उ नत्थि दोसो
खन्तस्स दन्तस्स जिंइन्दियस्स 15 भासाय दोसे य विवजगस्स
'गुणेय भासाय निसेवगस्स ॥ ५ ॥
poort of open to INTHE
महत्वए पञ्च अणुव्वए य तहेव पञ्चासव संवरे य ।
विरह इह स्लामणियम्मिं पुण्णे लवावसक्की समणे ते चैमि ६

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