Book Title: Upmiti Bhav Prapanch Katha Prastav 01
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Nathuram Premi

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ इस ग्रन्थका एक अनुवाद मैंने विक्रम संवत् १९६५ में जब कि मैं गनपंथसिद्धक्षेत्रपर जलवायुपरिवर्ननके लिये लगभग तीन महीने रहा था, किया था और वह पूरा भी हो चुका था। परन्तु पीछे कई कारणों से मुझे उससे अरुचि हो गई और यह नवीन अनुवाद करना पड़ा। पहिले अनुवादमें बड़ी भारी त्रुटि यह थी कि, उसमें संस्कृत शब्दोंकी बहुत ही अधिकता थी और वाक्यरचना भी क्लिष्ट हो गई थी। इस अनुवादमें इस दोपको निकालनेकी जितनी मुझसे हो सकी है.. उनी कोशिश की है और मूलके भावोंको समझानेकी ओर तथा. भांपा नई दंगकी लिखनेकी ओर बहुत ध्यान रक्खा है। शब्दशः अनुवाद करनेसे भाषा भद्दी और क्लिष्ट हो जाती है, इसलिये यह अनुवाद प्रायः स्वतंत्रतासे किया गया है, परन्तु साथ ही मूलके किसी भी वाक्यका अथवा शब्दका भाव नहीं छूटने पाया है। विद्वान् पाठक मूलग्रन्यसे मिलान करके इस वातकी परीक्षा कर सकते हैं। इस ग्रन्थका अनुवाद करते समय मुझे श्रीयुक्त मोतीचन्द गिरधर कापडिया, बी. ए., के गुजरातीभापान्तरसे तथा बम्बई दि० जैनपाठशालाके अध्यापक श्रीयुत पण्डित मनोहरलालनीसे बहुत कुछ - सहायता मिली है, इसलिये उक्त दोनों महाशयोंका मैं हृदयसे कृतज्ञ हूं। ___ इस अनुवादको सरल और निदोंप बनानेके लिये कोई बात उठा नहीं रक्खी गई है, इतनेपर भी यदि इसमें कुछ दोष हैं और मुझ जैसे अल्पज्ञकी कृतिमें दोप होना स्वाभाविक हैं, तो उनके लिये मैं पाठकोसे क्षमा मांगता हूं। . इस ग्रन्थसे यदि एक भी हिन्दी जाननेवाले सज्जनका उपकार हुआ, तो मैं अपने परिश्रमको सफल समझंगा। अलमतिविस्तरेण । चन्दाबाड़ी, चम्बई, आषादकृष्णा प्रतिपदा नाथूराम प्रेमी। श्रीवीर नि०सं०२४३७ ,

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 215