Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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पण्डितप्रवर-श्रीसाधुसुन्दरगणि-कृत दीख दीक्षा।
कातरि कर्तरी । ईधण इन्धनम् ।
कातरणी कर्तनिका । राख रक्षा।
त्राकलउ तकुः । छार क्षारः।
पीजणउ पिञ्जनम् । जनोई यज्ञोपवीतम् ।
वरता वरना । . वणिज वाणिज्यम् ।
आर आरी। मूल मूल्यम् ।
सूत्रहार (सूथार) सूत्रधारः । संचकार सत्यङ्कारः ।
वांसोली वासी। नाव नौः।
करवत करपत्रकम् । बेडी बेडा ।
टांकुलउ टङ्कः । उधार उद्धारः ।
लोहार लोहकारः। पडहू प्रतिभूः।
कंदोई कान्दविकः । साखी साक्षी।
नावी नापितः । गाउ गव्यूतम् ।
आहेडर आखेटकः । कोस क्रोशः ।
आहेडी आखेटिकः । जोअण योजनम् ।
वागुर वागुरा । गोवाल गौपाल:।
वागुरी वागुरिकः । आहीर आभीरः ।
पासी पाशिका । करसउ कर्षकः।
भील भिल्लः । खेती क्षेत्री।
भूइ भूः। हलरी ईस हलस्य ईषा ।
धरती धरित्री। मई मत्यम् ।
सींधव सैन्धवम् । कोदालउ कुदालः।
विडलूण विडलवणम् । खणेत्रउ खनित्रम् ।
जवखार यवक्षारः। पराणी प्राजनम् ।
साजी खर्जिका । जोत्र योत्रम् ।
खलहाण खलधानम् । मेढी मेधी।
खलउ खलम् । कारू कारः।
खेड खेटम् । माली मालिकः।
खंधार स्कन्धावारः। कलाल कल्यपालः।
कोट कोट्टः । मद मधम् ।
वाणारसी वाराणसी। सूई सूची।
अउज अयोध्या । सूईउ सौचिकः।
ऊजयणी उज्जयिनी ।
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